दूब का पौधा एक बार जहाँ जम जाता है.वहाँ से इसे नष्ट करना बड़ा मुश्किल होता है इसकी जड़ें बहुत ही गहरी पनपती हैं दूब की जड़ों में हवा तथा भूमि से नमी खींचने की क्षमता बहुत अधिक होती है.यही कारण है कि चाहे जितनी सर्दी पड़ती रहे इन सबका दूब पर असर नहीं होता है.दूब घास पर उषा काल में जमी हुई ओस की बूँदें मोतियों-सी चमकती प्रतीत होती हैं.पशुओ के लिए ही नहीं अपितु मनुष्यों के लिए भी पूर्ण पौष्टिक आहार है.आइये जानते है किन-किन रोगों से निजत दिलाती है दूब
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1.इस पर सुबह के समय नंगे पैर चलने से नेत्र ज्योति बढती है और अनेक विकार शांत हो जाते है
2.दूब घास शीतल और पित्त को शांत करने वाली है.
3.दूब घास के रस को हरा रक्त कहा जाता है इसे पीने से एनीमिया ठीक हो जाता है.
4.नकसीर में इसका रस नाक में डालने से लाभ होता है.
5.इस घास के काढ़े से कुल्ला करने से मुँह के छाले मिट जाते है.
6.दूब का रस पीने से पित्त जन्य वमन ठीक हो जाता है.
7.इस घास से प्राप्त रस दस्त में लाभकारी है.
8.यह रक्त स्त्राव गर्भपात को रोकती है और गर्भाशय और गर्भ को शक्ति प्रदान करती है.
9.दूब को पीस कर दही में मिलाकर लेने से बवासीर में लाभ होता है.
10.इसके रस को तेल में पका कर लगाने से दाद खुजली मिट जाती है.
11.दूब के रस में अतीस के चूर्ण को मिलाकर दिन में दो से तीन बार चटाने से मलेरिया में लाभ होता है.