क्या आप भी जानते है ये सब गो माता के बारे में हिन्दू धर्म में गाय के शरीर में सभी देवी-देवताओं का वास् बताया गया है,
कहते हैं कि जो मनुष्य प्रात: स्नान करके गौ स्पर्श करता है.वह पापों से मुक्त हो जाता है संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद हैं और वेदों में भी गाय की महत्ता और उसके अंगो प्रत्यंग में दिव्य शाक्तियां होने का वर्णन मिलता है.गाय के गोबर में लक्ष्मी गोमूत्र में भवानी चरणों के भाग में आकाशचारी देवता रंभाने की आवाज़ में प्रजापति हैं.
सरकारी नौकरी करने के लिए बंपर मौका 8वीं 10वीं 12वीं पास कर सकते हैं आवेदन
अगर आप बेरोजगार हैं तो यहां पर निकली है इन पदों पर भर्तियां
दसवीं पास लोगों के लिए इस विभाग में मिल रही है बम्पर रेलवे नौकरियां
मान्यता है कि गौ के पैरों में लगी हुई मिट्टी का तिलक करने से तीर्थ-स्नान का पुण्य मिलता है.यानी सनातन धर्म में गौ को दूध देने वाला एक निरा पशु न मानकर सदा से ही उसे देवताओं की प्रतिनिधि माना गया है.
गाय के हिस्सों में देवी-देवताओं का निवास-
पुराण के अनुसार गाय के मुख में चारों वेदों का निवास हैं.उसके सींगों में भगवान शंकर और विष्णु सदा विराजमान रहते हैं.गाय के उदर में कार्तिकेय मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सीगों के भाग में इन्द्र, दोनों कानों में अश्विनीकुमार, नेत्रों में सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती, नासिका के भाग में सर्प, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं स्थित हैं.भविष्य पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, महाभारत में भी गौ के अंगो प्रत्यंग में देवी-देवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है.