भूलकर भी न करें ये 10 काम 117 साल बाद बेहद शुभ महाशिवरात्रि बन रहे कई दुर्लभ योग हर इच्छा होगी पूरी
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है इस साल की शिवरात्रि को बेहद खास माना जा रहा है क्योंकि इस बार शिवरात्रि पर 117 साल बाद शुक्र और शनि का दुर्लभ योग बन रहा है शिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव की उपासना करते वक्त शंख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था
शंख को उसी दैत्य का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु का भक्त था. इसलिए शिवा की बजाए विष्णु की पूजा में शंख बजाया जाता है भगवान शिव की पूजा करते वक्त केसर, दुपहरिका, मालती, चम्पा, चमेली, कुन्द, जूही आदि के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए. इसकी जगह भांग-धतूरे का इस्तेमाल शुभ माना जाता है
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कुछ लोग शिव की आराधना करते हुए करताल बजाते हैं, जबकि भगवान शिव की पूजा करताल बजाना भी अशुभ माना जाता है शिव की पूजा में कभी तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया था
भगवान शिव को तिल या तिल से बनी चीजें भी नहीं चढ़ानी चाहिए. ऐसी मान्यताएं हैं कि तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ है, इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित करना चाहिए
भगवान शिव को सिर्फ साबुत चावल ही चढ़ाने चाहिए. अशुद्ध होने की वजह से टूटे हुए चावल से भगवान शिव प्रसन्न नहीं होते हैं भगवान शिव को वैरागी कहा जाता है इसलिए उनकी उपासना करते हुए कभी कुमकुम नहीं भेंट करना चाहिए. हालांकि ये सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है
महाशिवरात्रि के दिन देर तक सोना नहीं चाहिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और दिन के वक्त भी नींद नहीं लेनी चाहिएशिवरात्रि के शुभ अवसर पर अगर आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन काले कपड़े पहनने से परहेज करें इस दिन मांस या मदिरा-पान का सेवन करना भी ठीक नहीं माना जाता है. खासतौर पर यदि कोई घर में व्रती है तो आपको बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होगी