हिंदू शास्त्रों में क्यों पूजा में दीपक जलाया जाता है? जानिए और भी रोचक तथ्य

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हिंदू शास्त्रों में धुप-दीप का पूजा में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है लेकिन क्या आप जानते है, की पूजा के समय भगवान को दीपक क्यों जलाया जाता है ? हमारे मस्तिष्क में सामान्यतया घी अथवा तेल का दीपक जलाने की बात आती है और हम जलाते हैं।

जब हम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथवा सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं तो दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है! देवता की विशिष्ठ कृपा प्राप्त करने के लिए दीये में कोनसा घी और कितनी बत्तिया उपयोग करनी चाहिए जिसका वर्णन भी पुराणों और प्राचीन ग्रंथो में मिलता है !

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विधि-विधान से पूजा लेकिन हिन्दू शास्त्रों के अनुसार आज भी पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा करने को महत्व दिया जाता है।

गाय के दूध से बना घी गाय को मां का स्थान दिया गया है और उसे ‘गौ माता’ कहकर बुलाया जाता है। यही कारण है कि उसके द्वारा दिया गया दूध भी अपने आप ही पवित्रता का स्रोत माना गया है।

शास्त्रों के अनुसार यह माना गया है कि पूजन में पंचामृत का बहुत महत्व है और घी उन्हीं पंचामृत में से एक माना गया है। इसीलिए घी का दीपक जलाया जाता है।

अग्नि पुराण के अनुसार, दीपक को केवल घी या फिर तिल का तेल से ही जलाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी अन्य पदार्थ का इस्तेमाल करना अशुभ माना गया है।

दीपक से पवित्र होता है वातावरण

यदि तिल का तेल के उपयोग से दीपक जलाया जाए तो उससे उत्पन्न होने वाली तरंगे दीपक के बुझने के आधे घंटे बाद तक वातावरण को पवित्र बनाए रखती हैं।

यदि तिल के तेल के उपयोग से दीपक को जलाया जाए तो वह केवल सूर्य नाड़ी को जागृत करता है। लेकिन घी से जलाया हुआ दीपक शरीर की तीनों प्रमुख नाड़ियों को जागृत करता है।

दीपक की लौ सिर्फ रोशनी की प्रतीक नहीं है बल्कि वह अज्ञानता के अंधकार को हटाकर ज्ञान के प्रकाश से जीवन को रोशन करने की प्रतीक है। दरिद्रता के तिमिर का नाश कर खुशियों से जीवन को जगमगा देने की प्रतीक है।

नकारात्मकता से चौंधियाये अंधेरे मन में सकारात्मकता के प्रकाश की किरणों की प्रतीक है। इसलिये उसके सही दिशा में होने से ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।

इस दिशा में जलाने से होगा फायदा

यदि आप अपने व्यवसाय में लाभ, वेतन में वृद्धि आदि धन लाभ की मनोकामना के लिये दीपक जला रहे हैं तो ध्यान रहे इसकी लौ उत्तर दिशा हो।

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