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चुम्बक से बिमारियों का उपचार

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रोगों का उपचार तभी संभव होता है जब शरीर में जमें हुए सभी अनावश्यक तत्वों को बाहर निकाल दिया जाता है. साथ ही जब शरीर का हर तंत्र और प्राणाली सुचारू रूप से काम करने लगती है तब भी शरीर स्वस्थ रहता है. चुम्बकीय चिकित्सा इन दोनों कार्यो को बखूबी निभाती है और शरीर को प्रभावशाली तरीके से रोगमुक्त रखती है. अगर शरीर का कोई तंत्र अधिक सक्रिय होता है तो ये चिकित्सा उसे शांत करती है और यदि कोई हिस्सा असक्रिय होता है तो ये उसे ऊर्जा प्रदान कर उसे चलाने में मदद करती है. इस तरह शरीर का हर अंग नियंत्रित रहता है. तो आओ जानते है कि किस रोग में चुम्बकों का किस तरह इस्तेमाल कर उपचार किया जाता है.

  • कमर दर्द ( Back Pain ) : अधिक मेहनत करने, सही तरह ना बैठने, कमर में बार बार झटके लगने इत्यादि से कमर के किसी ना किसी हिस्से में दर्द बना ही रहता है. जिसमें राहत पाने के लिये तरह तरह के उपयों को अपनाया जाता है कोई कमर को सेंकता है तो कोई पेस्ट लगता है. किन्तु ये सिर्फ उपाय सिर्फ कुछ देर के लिए आराम देते है और दर्द की जड़ वैसी ही रहती है जो धीरे धीरे गठिया का रूप ले लेती है, जिसका सीधा असर शरीर के आधार रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है.
  • चिकित्सा ( Treatment ) : जिस व्यक्ति की कमर के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है उन्हें कमर के उपरी भाग में ही उत्तरी ध्रुव को रखना चाहियें. ठीक इसी तरह से अगर निचले हिस्से में दर्द हो तो उन्हें दक्षिणी ध्रुव को कमर के निचले भाग में रखने से आराम मिलता है. वहीँ अगर दाई तरफ दर्द हो तो उत्तरी ध्रुव को दाई तरफ रखें ठीक इसी तरह बायीं तरफ दर्द होने पर दक्षिणी ध्रुव को बायीं तरफ रखें. आप पीड़ित को चुम्बक के ध्रुवों से निर्मित पानी को भी अवश्य पिलायें.
  • पेट की दर्द ( Abdominal Pain ) : अगर पेट में वायु विकार है या पेट की मांसपेशियां व आँते कमजोर है या उनमे ऐठन है तो उस अवस्था में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पीड़ित ना तो मल निकाल पता है और ना ही वो चैन से आराम कर पाता है.
  • चिकित्सा ( Treatment ) : इस अवस्था में आप रोगी के दोनों हाथों की हथेलियों में अधिक ऊर्जा वाली चुम्बक रखें. तत्पश्चात रोगी आधे चाँद की आकृति वाली चीनी मिटटी की चुम्बक लें और उसे अपनी नासिका के पास रखें. खाने में रोगी को ठंडी तासीर वाली चीजों से बचना चाहियें और हो सके तो कुछ दिन तक नहाने का भी परहेज करें. पिने के लिए पीड़ित को वो पानी पिलाना चाहियें जिसे दक्षिणी ध्रुव से तैयार किया गया हो.
  • रक्तचाप नियंत्रण ( Controls Blood Pressure ) :आधुनिक युग की सबसे बड़ी समस्या है रक्तचाप जिसका मुख्य कारण तनाव है. सामान्यतः रक्तचाप 60– 70 से 100 – 140 के बीच होना चाहियें. अगर रक्तचाप इससे अधिक हो तो उसे उच्च रक्तचाप और इससे कम हो तो निम्न रक्तचाप कहा जाता है. जैसे जैसे रक्तचाप बढ़ता है वैसे वैसे शरीर में अन्य रोग जैसे मोटापा, अनिद्रा और मानिसक तनाव बढ़ते रहते है.

चिकित्सा ( Treatment ) : उच्च रक्तचाप की अवस्था में रोगी के दोनों हाथों में कम से कम 5 मिनट अधिक उर्जावान चुम्बकों को रखना चाहियें. यदि अधिक उर्जा वाले चुम्बक ना हो तो सामान्य चुम्बक को ही 10 से 15 मिनट तक हथेलियों पर रखें. इस उपाय को करने के लिए आप सुबह के समय का चुनाव करें. एक अन्य उपाय के अनुसार आप कलाई पर भी चुम्बक बाँध सकते है किन्तु ध्यान रहें कि उच्च रक्तचाप के लिए दाई कोहनी का इस्तेमाल करें.

वहीँ अगर रक्तचाप निम्न रहता है तो भी अधिक उर्जावान चुम्बक लेनी है और उन्हें करीब 15 मिनट तक हथेलियों पर रखना है. ठीक उच्च रक्तचाप की तरह आप निम्न रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए कोहनी पर चुम्बक बांधे लेकिन इस बार आपको बाई कोहनी पर चुम्बक बांधनी है.

  • चिकित्सा ( Treatment ) : इस अवस्था में रोगी को आधे चाँद के आकार की चीनी मिटटी से बनी चुम्बक लेनी है और उन्हें 8 से 10 मिनट तक आँखों पर लगायें रखना है. इसके बाद आप वो पानी लें जिसे चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से तैयार किया गया हो. आप इस पानी से पहले आँखों को साफ़ करें और फिर थोडा सा पानी पी भी जाएँ. आपको शीघ्र ही आँखों की सुजन से आराम मिलेगा.आँखों में सुजन ( Inflammation of Eyes ) : अगर किसी व्यक्ति की आँखें सूज जाती है या आँखों में से मवाद आना शुरू हो जाता है तो ये आँखों के लिए काफी नुकसानदेह साबित होता है. इसमें आँखें लाल पड़ जाती है और असहनीय दर्द होने लगता है.
  • मधुमेह ( Diabetes ) : मधुमेह अर्थात रक्त में शर्करा की मात्रा बढना, इसके साथ ही इसकी दूसरी पहचान बहुमूत्र भी है. क्योकि इसमें रोगी को बार बार मूत्र आने लगता है और उसे प्यास लगने लगती है. इस तरह ये कहा जा सकता है कि उसके मूत्र और लहू दोनों में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है.

चिकित्सा ( Treatment ) : इस अवस्था में भी रोगी को प्रातःकाल करीब 10 मिनट तक अपनी हथेलियों पर उच्च शक्ति या ऊर्जा वाली चुम्बक रखनी चाहियें ताकि उनके उनकी रक्तवाहिनियों में दौड़ने वाला रक्त पहले की तरह शुद्ध और शर्करा मुक्त हो सके.

  • घट्टा ( Callosity ) : घट्टे कुछ निशानों की तरह होते है जो पैरों के तलवों पर होते है. इस अवस्था में जब चलते है तो पैरों में दर्द होना आरम्भ हो जाता है और ऐसा लगता है जैसे तलवों में कांटे चुबायें जा रहे है. ये एक कष्टकारी अनुभव होता है.

चिकित्सा ( Treatment ) : आप रोजाना दिन में 2 बार अधिक शक्ति वाली चुम्बक को अपने पैरों के नीचे रखें,साथ ही आपको चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से तैयार किये गए जल का सेवन भी करना है और उसी जल से आपको तलवों को भी धोना है. इस उपाय के लगातार सेवन से आपको निश्चित रूप से घटटों से राहत मिलती है.

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