centered image />

Cryptocurrency | फर्जी मुद्राः संसद खुली बहस करे

0 227
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

Sabkuchgyan Team, नई दिल्ली, 27 नवम्बर 2021. संसद के इस सत्र में सरकार क्रीप्टो करेंसी (Cryptocurrency) पर कानून बनानेवाली है। यह क्रीप्टो करेंसी क्या है? यदि हम हिंदी या उर्दू में कहें तो कह सकते हैं, काल्पनिक मुद्रा, वैकल्पिक मुद्रा, गुप्त मुद्रा, आभासी मुद्रा, फर्जी मुद्रा! फर्जी शब्द मुझे सबसे सरल लगता है। इसीलिए बिटकाॅइन, एथेरियम, अल्टकाइन आदि लगभग इन छह हजार तरह की मुद्राओं को हम फर्जी मुद्रा कहें तो बेहतर होगा। यह फर्जी इसलिए है कि न तो यह किसी चीज की तरह है, नोटों की तरह यह न कागज से बनी है और न ही सिक्कों की तरह यह किसी धातु से बनी है।

इस फर्जी मुद्रा का सरताज अगर कोई है तो वह बिटकाॅइन (Bitcoin) है। इसे 2009 में शुरु किया गया तो इसकी कीमत एक रुपये से भी कम थी और आज उसकी कीमत 65 हजार डॉलर से भी ज्यादा है। सारी दुनिया में इस समय दो करोड़ 10 लाख बिटकाॅइन जारी हैं। इनकी कुल कीमत इस वक्त तीन ट्रिलियन आंकी गई है। यह वास्तव में डिजिटल मुद्रा है, जिसका लेन-देन इंटरनेट पर ही होता है। भारत में भी लाखों लोग इसमें लगे हुए हैं, क्योंकि इसमें रातों-रात आप करोड़पति बन सकते हैं। इस बिटकाॅइन और दूसरी फर्जी मुद्राओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव भयंकर तूफान की तरह आता है। एक ही झटके में करोड़पति कौड़ीपति होकर रह जाता है। यदि यह मुद्रा ज्यादा खरीदी जाए तो इसकी कीमत बढ़ती जाती है और इसकी खरीद ज्यों ही कम होती है, इसकी कीमत पैंदे में बैठती जाती है। पिछले हफ्ते मुझे दुबई में एक क्रीप्टो करेंसी के धनी नौजवान से बात करने का मौका मिला। इस समय शायद उसके पास अरबों रुपये हैं लेकिन उसने बताया कि तीन साल पहले जब वह पेरिस में रहता था तो इसी फर्जी मुद्रा के चलते उसका हाल ऐसा हो गया था कि न तो वह मकान-किराया भर पाता था और न ही उसके पास इतने पैसे रह गए थे कि वह मनपसंद खाना भी खा सके लेकिन अब फिर वह मालदार हो गया है। दूसरे शब्दों में यह फर्जी मुद्रा का क्रय-विक्रय किसी द्यूत-क्रीड़ा से कम नहीं है। जिस जुएबाजी के कारण कौरवों-पांडवों का महाभारत हुआ था, यह वैसा ही जुएबाजी का खेल है। लोग इस जुएबाजी को इसीलिए प्यार करते हैं कि इसमें ‘हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा आय’! न मेहनत करनी पड़ती है, न कुछ पैदा करना होता है। बस घर बैठे-बैठे तिजोरियां भरनी होती हैं। यह हरामखोरी के अलावा क्या है? इसके अलावा इस फर्जी मुद्रा का लाभ तस्कर, ठग, आतंकवादी और अपराधी लोग जमकर उठाते हैं।

हमारी सरकार संसद में जो विधेयक ला रही है, उसमें निजी फर्जी मुद्रा पर तो प्रतिबंध का प्रावधान है लेकिन सरकार खुद फर्जी मुद्रा रिजर्व बैंक के जरिए जारी करवाना चाहती है। कहीं वह कृषि-कानूनों के वक्त हुई गलती को दोहराने में तो नहीं लगी हुई है? उसे चीन, रूस, मिस्र, वियतनाम, अल्जीरिया, नेपाल आदि देशों से पूछना चाहिए कि उन्होंने इस फर्जी मुद्रा पर पूर्ण प्रतिबंध क्यों लगाया है? मुझे विश्वास है कि भाजपा के सांसद भी इस विधेयक को आंख मींचकर पास नहीं होने देंगे। इस पर सभी सांसद जमकर बहस चलाएंगे।

(लेखक सुप्रसिद्ध पत्रकार हैं)

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.