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सुख़ लेके जीवन पुरा करते है, जीवन दिनों की गिनती कोई नहीं है

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चलो देखते है की धीरे धीरे हम जीवन की सचाई से दुर कैसे हो रहे है ? वैसे तो हम कहेंगे कि हम बहुत अछी तरह जी रहे है। हा क्यों नही अच्छी पढ़ाई की है, अच्छी जॉब है, अच्छे पैसे पैदा कर रहे है फ़िर क्या चाहिए ? चलो मानते है की यही जीवन कि पहचान है।

अब बात करते है की हम सब बहुत ज्यादा नही सोचते जीवन के बारे मे तो फिर भी हमेशा दुःख और निराशा क्यों जीवन में आ रहे है? कभी सोचा है इस के बारे मे ? ज्यादातर हम सिर्फ सुबह से शाम तक काम करते है और बिजनेस

संभालते है और निंद आए तो सो जाते है और फ़िर सुबह होते ही फ़िर रुटीन शुरू, हर दिन होता है। बाकी समय आनन्द के लिए गुम ने जाते है या ऐसा कुछ करते है जिससे आनंद आए या कोई प्रसंग में जाते है तो सामाजिक या पार्टी

जैसे दूसरे कार्यक्रम हो ।

इस तरह दिन पुरा कटते है और एस तरह जीवन चलता है और दु:ख और निराशा और बहुत छोटा सुख़ लेके जीवन पुरा करते है। मै ऐसा नहीं कहता हूं की जो जीवन जीते है वोह ग़लत है, फ़िर भी कुछ तो सोचने जैसी बात है हम सब के

लिए की इतनी छोटी सी जिंदगी मे हम ने कितने दु:ख और निराशा पाते है ?

तभी तो हर जगह How to live life के प्रवचन और क्लास और सेमिनार आयोजित किए जाते है। फ़िर भी कुछ फर्क नहीं पड़ता। कोई बात तो है जिससे जीवन में परिवर्तन नही मिलता रहा है।

वैसे देखे तो जो गरीब है यानि किसके पास पैसे नहीं है या कम है ये लोग दु:खी होते है लेकिन हम सब जान ते है की ज्यादा पैसे वालों को भी शांति नही मिलती है हा सुख सुविधा सब कुछ मिलता है।

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