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नशे की सुरंग से बच्चों को निकाल पुलिस भर रही खुशियों के रंग

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दिल्ली पुलिस के जिलास्तरीय नशा मुक्त भारत अभियान का असर नजर आने लगा है। कई बच्चे नशा छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। वह अच्छे कामों को कर इज्जत से गुजर बसर कर रहे हैं। जहांगीरपुरी इलाके में कई ऐसे बच्चे हैं। इनकी जिंदगी पुलिस ने बदल दी है। ये बच्चे अब नशा करने वालों को खुद बता रहे हैं कि नशा धीरे-धीरे खोखला कर देता है। वह सब कुछ तबाह कर देता है।

पिछले एक महीने से उत्तर-पश्चिम जिले में जारी ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ का इलाके में बड़ा असर हुआ है। ड्रग्स जागरुकता सेमिनार, नुक्कड़ नाटक और संवेदीकरण कार्यक्रम का लोगों की दिशा और दशा बदल दी है। हर पल नशे की झोंक में रहने वाले रेलवे की पटरियों के किनारे झुग्गियों में रहने वाले युवाओं को दिखाई गई लघु फिल्में अपने मकसद में कामयाब हुई है।

डीसीपी ऊषा रंगनानी ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से कहा, हम परिवार वालों को कार्यक्रमों में बुलाते हैं। उन्होंने समझाते हैं कि वह अपने बच्चों को किस तरह से इससे बचाएं। बच्चों से नफरत नहीं करें। न ही मारपीट करें। प्यार से समझाकर जिगर के टुकड़ों का दिल जीतें। वह कहती हैं पुलिस की कोशिश से नशा मुक्ति केंद्रों के 20 युवाओं में से तीन इस लत से उबर चुके हैं। इनको कौशल प्रशिक्षण दिया गया।

पुलिस अधिकारी रंगनानी के मुताबिक एक साल से कंपनियों के सहयोग से दिल्ली पुलिस की युवा योजना के तहत 500 से अधिक कमजोर युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इनमें से करीब 80 को प्लेसमेंट मिली है। उन्होंने बताया कि 2 नवंबर को यह अभियान शुरू किया गया था। जिले के ड्रग्स तस्करों को पकड़ने में स्थानीय लोगों ने मदद की। एक महीने में उत्तर-पश्चिम जिले में एनडीपीएस अधिनियम के तहत 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 18 लोगों पर कोटपा अधिनियम लगाया गया।डीसीपी ऊषा रंगनानी कहती हैं- “हमारी कोशिश है। उसमें हम काफी हद तक कामयाब हो रहे हैं। आजकल बेरोजगारी और मानसिक रूप से परेशान युवा नशे की गिरफ्त में आ जाते है। उनको मुख्यधारा में लाकर रोजगार देना भी हमारा फर्ज है।”

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