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गीता ज्ञान

आज का संदर्भ – अध्याय 9 शलोक 19-21

हरे कृष्ण। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि इस संसार उत्पत्ति से पहले भी मैं था संसार की प्रलय के बाद में भी मैं रहने वाला हूँ आदि अंत में होने के कारण मध्य में तो हो ही गया। कहने का मतलब है कि प्रभु अनन्त हैं। कितने ही रिषि मुनियों में बड़े…

गीता ज्ञान – अध्याय 8 शलोक 8-11

हरे कृष्ण। अर्जुन का सवाल था कि निश्काम भाव से सतकर्म में लगे हुए मनुष्य का अंत में क्या होता है भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि जो मनुष्य अंत समय में मेरा स्मरण करते हुए प्राण त्याग करता है वह मुझे ही प्राप्त होता है इसमें कोई संदेह नहीं है।…

गीता ज्ञान – अध्याय 8 श्लोक 5-7

गीता ज्ञान में भगवान श्री कृष्ण ने 7वें अध्याय और विशेषकर 29-30 शलोकों में 6 शब्दों का प्रयोग किया है। ब्रह्म, अधात्म, कर्म , अभिभूत , अधिदेव और अभिभूत। 8वेँ अध्याय के पहले दो शलोकों में अर्जुन भगवान कृष्ण से पूछता है महाराज आपके इन शब्दों…

गीता ज्ञान – अध्याय 7 शलोक 22-30

हरे कृष्ण। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैंने मनुष्य को स्वतन्त्रत सत्ता दी है, वो जो भी करता है मैं उसे करने देता हूँ। मैं किसी की भी कार्य प्रणाली में कोई विघ्न पैदा नहीं करता। मनुष्य की दो मनोवृत्ति है एक है छोड़ना और दूसरी है पकड़ना।…

गीता ज्ञान -अध्याय 7 शलोक 18-21

हरे कृष्ण। भगवान श्री कृष्ण ने भक्तों की 4 श्रेणी बताई। ज्ञानी भक्त को भगवान अपने सबसे प्रिय भक्त की संज्ञा देते हैं। तो क्या बाकी श्रेणी के भक्त भगवान को प्रिय नहीं है या भगवान से दूर हैं। ऐसा नहीं है भगवान को तो सबसे प्रेम है लेकिन ज्ञानी…

गीता ज्ञान- अध्याय 7 शलोक 4-7

हरे कृष्ण। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि इस ब्रह्मांड में जो कुछ भी है वह पंच महाभूत जल, आकाश, अग्नि , वायु और पृथ्वी यानी अपरा(जगत ) मन, बुद्धि और अहंकार यानी परा ( जीव) के कारण ही है। । इन आठों के संयोग से ही सब कुछ मौजूद है। सभी पदार्थों…