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अटल जी जयंती : श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के वो 9 अटल फैसले जिनसे बन गए थे वो भारत रत्न

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जन्म दिवस पर विशेष : स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) जी का आज जन्मदिन है, आज उनके जन्मदिवस पर उनके ऐसे मजबूत फैसलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे वो जिनसे बन गए थे वो भारत रत्न । उनका जन्म मघ्य प्रदेश के ग्वालियर में एक ब्राह्मण परिवार में 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था.  93 साल की उम्र में अटल जी भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने 20 से ज्यादा पार्टियों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। अटल थे तो भारतीय जनता पार्टी के नेता, लेकिन उन्हें उनके विरोधी भी पसंद करते थे। आज हम आपको अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े उन 9 फैसलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने भारत की तस्वीर बदलकर रख दी थी।

1. पूरी दुनिया को चकमा देकर किया परमाणु परीक्षण :

1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बने सिर्फ 3 महीने ही हुए थे और उन्होंने परमाणु परीक्षण करने का फैसला किया। इससे पहले भी राजस्थान के पोखरण में इंदिरा सरकार में 1974 में परमाणु परीक्षण किया गया था, लेकिन भारत इसमें सफल नहीं हो पाया था। 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में दोबारा से परमाणु परीक्षण किया गया। उस वक्त अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने भारत पर नजर रखने के लिए पोखरण के ऊपर सैटेलाइट लगा दिए थे, लेकिन भारत ने इन अमेरिकी सैटेलाइट को चकमा देते हुए सफल परमाणु परीक्षण किया। मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद भी इस टीम में शामिल थे और उन्होंने ही परीक्षण सफल होने की घोषणा की थी। हालांकि उस वक्त अटल ने साफ कहा था कि ‘हम परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेंगे।’

2. देश के चार बड़े शहरों को एक नेटवर्क से जोड़ा :

अटल सरकार ने 1999 में ‘स्वर्णिम चतुर्भुज’ योजना की शुरुआत की, जिसका काम 2001 में शुरू हुआ। इस योजना का मकसद देश के चार बड़े शहर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता को हाईवे नेटवर्क के जरिए जोड़ना था। इस योजना को पहले 2006 में पूरा किया जाना था, लेकिन इसे 6 साल की देरी से 2012 में पूरा किया गया। इस योजना के तहत चारों शहरों को जोड़ने के लिए 5,846 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई गई, जिसमें 6 खरब रुपए का खर्च आया था।

3. दिल्ली से लाहौर तक की बस सर्विस की शुरुआत :

अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा से पाकिस्तान से संबंध सुधारना चाहते थे और इसकी शुरुआत उन्होंने पहली गैर-कांग्रेसी मोरारजी देसाई की सरकार में बतौर विदेश मंत्री रहते हुए कर दी थी। बाद में जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने दिल्ली से लाहौर तक बस सर्विस की शुरुआत की, जिसे ‘सदा-ए-सरहद’ नाम दिया गया। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए खुद अटल बस में बैठकर दिल्ली से लाहौर गए थे। हालांकि 2001 में हुए संसद हमले के बाद इस सेवा को बंद कर दिया गया, लेकिन 2003 में इसे फिर से शुरू कर दिया गया।

4. 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार :

अटल सरकार में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ‘सर्व शिक्षा अभियान’ की शुरुआत 2001 में की गई थी, जिसके तहत 6 से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान किया गया। साथ ही शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया।

5. चांद पर भारत की मौजूदगी दर्ज कराई :

15 अगस्त 2003 को लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘चंद्रयान 1’ की घोषणा की थी। चंद्रयान 1 भारत का पहला चंद्र मिशन था। इसे 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया था, जिसका काम चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊंचाई से चांद की परिक्रमा करना था और उसके बारे में जानकारियां जुटाना था।

6. कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाई : पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने भारत-पाकिस्तान के बीच बनी एलओसी को पार किया और भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया। इसको लेकर अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को फोन कर समझाया भी कि भारत युद्ध नहीं करना चाहता, लेकिन पाकिस्तान ने बात नहीं मानी। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में दोनों देश के बीच युद्ध छिड़ गया। इस लड़ाई में भारत को काफी नुकसान हुआ और भारत के 527 जवान शहीद हुए, लेकिन आखिर में 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को हराकर कारगिल युद्ध जीत लिया।

7. नीतियां बदलीं और देश में ला दी थी संचार क्रांति :

अटल सरकार ने देश में टेलीकॉम नीतियों को बदलकर संचार क्रांति ला दी थी। उनकी सरकार ने टेलीकॉम फर्म्स के लिए फिक्स्ड लाइसेंस को फीस को खत्म कर दिया और उसकी जगह रेवेन्यू शेयरिंग की व्यवस्था शुरू की गई। अटल सरकार में ही 15 सितंबर 2000 को भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) का गठन किया। इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में होने वाले विवादों को सुलझाने के लिए 29 मई 2000 को टेलीकॉम डिस्प्यूट सेटलमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) को भी गठन किया।

8. लोगों की जान बचाने के लिए आतंकियों को छोड़ने का फैसला :

24 दिसंबर 1999 को नेपाल के त्रिभुवन एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 दिल्ली के लिए उड़ी, लेकिन इसे आतंकियों ने हाईजैक कर लिया। इस फ्लाइट को दिल्ली के लिए आना था, लेकिन हाईजैक के बाद इस फ्लाइट को पहले लाहौर, फिर अमृतसर से होते हुए दुबई और आखिरी में अफगानिस्तान के कंधार में उतारा गया। इस फ्लाइट में 176 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स थे और आतंकियों ने इन्हें छोड़ने के लिए भारतीय जेलों में बंद आतंकियों को रिहा करने की मांग की। करीब 8 दिन तक चली चर्चा के बाद अटल सरकार आतंकियों के सामने झुक गई। जिसके बाद तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद अपने साथ जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख अहमद उमर सईद को कंधार लेकर गए और उन्हें रिहा कर दिया। अटल सरकार के इस फैसले की आलोचना भी हुई थी।

9. को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला भी वाजपेयी का था :

1998 में गुजरात में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और को मुख्यमंत्री बना दिया गया। लेकिन 2001 में गुजरात में आए भूकंप के बाद जब केशुभाई पटेल की सरकार स्थिति संभालने में नाकाम हुई तो जनता उनके खिलाफ हो गई। जिसके बाद केशुभाई पटेल ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। अक्टूबर 2001 में नरेंद्र मोदी एक अंतिम संस्कार में शामिल होने दिल्ली गए थे, तभी अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें मिलने बुलाया। वाजपेयी से मुलाकात के बाद मोदी तुरंत गुजरात के लिए रवाना हुए और मुख्यमंत्री का पद संभाला। इसके बाद से नरेंद्र मोदी 2002, 2007 और 2012 में तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री चुने गए और 2014 में उन्हें देश का प्रधानमंत्री चुना गया।

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