Biography: मेरी आवाज सुनो…. रफ़ी साहब
मेरी आवाज सुनो रफ़ी साहब के द्वारा गया हुआ यह गाना उनकी शख्शियत को बयाँ करता है कि वो कितने विन्रम, सरल और महान हस्ती थे. न जाने उन्होंने कितने कलाकारों को अपनी आवाज दी, आज भी किसी पुराने कलाकार को गाते हुए देखते हैं तो येही महसूस होता है कि येही कलाकार गा रहा है, लेकिन यह सब रफ़ी साहब का जलवा है कि वो अपनी आवाज को हर कलाकार से मिला लेते थे. उनके में बारें में कहना बहुत कम पड़ जायेगा.
वह सन 1980 की 31 जुलाई का दिन था जब मोहम्मद रफी ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ फिल्म आस-पास के लिए एक गीत की रिकार्डिग की और उनसे जल्दी घर जाने की इजाजत मांगी। जाहिर है वहां मौजूद लोगों को इस बात से थोड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि रफी उन लोगों में से थे जो रिकार्डिग खत्म होने पर सबसे अंत में घर जाते थे, लेकिन रफी ने एक बार फिर कहा, ‘मैं अब जाऊंगा’। रफी उस रात सचमुच चले गए एक लंबी अंतहीन यात्रा पर कभी वापस ना आने के लिए।