भोजन संबंधी आवश्यक नियम
भोजन कैसे किया लाए तथा किन विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाए, इस संबंध में कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं, जो नीचे दिए गए हैं.
- भूख लगने पर ही भोजन करिए।
- भोजन करते समय कोई चिन्ता, क्रोध, निराशा आदि के हानिकारण विचार न रखें।
- भोजन खूब चबा-चबाकर करें ताकि वे पूरी तरह द्रव रूप में बदल जाएं। उनमें मुंह की लार शामिल हो जाए।
- भोजन के बीच में जरूरत भर पानी के घूँट पिएं। भोजन से पहले या बाद में पानी पिने से आमाशय के पाचक रसों का असर कम हो जाता है।
- भोजन अपनी भूख से कुछ कम करें। चीनी और नमक का सेवन प्रायः कम-से-कम करें। मसालों की अधिकता से बचें।
- भोजन करने के बाद यौन क्रिया, व्यायाम या सैर अवश्य करें क्योंकि उस समय शरीर की सारी शक्ति पाचन क्रिया में लगी होती हैं। दोपहर के भोजन के बाद कम-से-कम आध घंटा विश्राम करें। शाम डलने के बाद भोजन करें ताकि आपके आहार ग्रहण करने और सोने के बीच तीन-चार घंटे का अंतराल रहें।
- यदि आप हृदय रोग से पीड़ित नही हैं तो रात का भोजन करने के बाद पन्द्रह-बीस मिनट तक धीमी गति से टहलें।
- भोजन करने के बाद दांतों को मांज कर कुल्ला करें।
- केवल भोजन करने के बाद एक पान, जिसमें सौफ, गरी, शुद्ध गुलकंद और मुलैठी हों, खाएं। इससे भोजन के भली प्रकार पचने में सहायता मिलती हैं। यह स्वास्थ्य के लिए भी हितकर हैं। लेकिन पान का सेवन भोजन करने के पश्चात ही करें। दिन में दो-तीन पान से अधिक खाना हानिकारक हाक सकता हैं। पान खाने के बाद दांत और मुंह स्वच्छ करना आवश्यक हैं। पान में गीली सुपारी का उपयोग करें। सूखी-कड़ी सुपारी दांतों और मसूढ़ों को हानि पहुंचाती हैं।