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पौष मास की शुरुआत इस विधि से करें सूर्य देव की पूजा, मान्यता से बढ़ता है पद-प्रतिष्ठा

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आज यानी 9 दिसंबर 2022 से पौष मास की शुरुआत हो गई है. इस माह में ग्रहों के राजा भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सूर्य देव की विधि-विधान से पूजा करने से पद में वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक संपन्नता भी प्राप्त होती है।वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव को पद और सामाजिक सम्मान के साथ-साथ सुख-समृद्धि का कारक माना जाता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य देव शुभ दृष्टि में होते हैं तो ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। वहीं करियर आदि में आपको सफलता मिल सकती है। आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र में पौष मास में सूर्यदेव की पूजा का क्या विधान है और इस मास में सूर्यदेव की पूजा का क्या महत्व है।

पौष मास में ऐसे करें सूर्य की पूजा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष महीने को सूर्य देव का महीना कहा जाता है। इस पूरे माह में सूर्य देव की पूजा का महत्व बताया गया है।

प्रात: काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लें

सूर्य देव को देखें।

तांबे के बर्तन में जल लेकर उसमें अक्षत, फूल और सिंदूर मिलाकर सूर्यदेव को अर्पित करें।
अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखें कि जल पैरों पर न गिरे।
सूर्य भगवान के मंत्रों का जाप करें और सूर्य चालीसा का पाठ करें।
अर्घ्य देते समय अंगूठा और तर्जनी एक साथ नहीं मिलानी चाहिए।

सूर्य देव को तीन बार जल चढ़ाएं

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अर्घ्य देते समय तीन बार जल छिड़कें और हर बार एक बार जल चढ़ाने के बाद सूर्य देव की परिक्रमा करें। मान्यता है कि सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद उसकी परिक्रमा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही सम्मान में भी वृद्धि होती है। अर्घ्य देने के बाद सूर्य भगवान के सभी 12 नामों का पाठ करें

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