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कमर दर्द बन सकता है रोगों का कारण, जानें ये खास बातें

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हर वर्ग व उम्र के लोगों को परेशान करने वाली समस्या है कमर दर्द जो खासकर निचले हिस्से में ज्यादा होती हैं। यह दर्द लंबे समय तक बना रहे तो रीढ़ की हड्डी में आर्थराइटिस को रूप ले लेता हैं। लेकिन बार-बार यदि कोई इससे पीड़ित होता है तो यह आर्थराइटिस के साथ किडनी या अन्य अंगों से जुड़े रोगों की आशंका को भी बढ़ा देता हैं।

प्रमुख वजह

कभी-कभार होने वाला कमर दर्द बैठने, उठने, चलने व सोने के गलत तरीके व अचानक अधिक वजन उठाने से होता है, जो 10-15 दिन तक सावधानीं बरतें तो ठीक भी हो जाता हैं। लेकिन यदि इन आदतों के अलावा शारीरिक गतिविधियों का अभाव बना रहे तो स्पाइनल डिस्क प्रोलैप्स (रीढ़ की डिस्क का पीछे की तरफ बढ़ना) की समस्या हो सकती हैं।

लाइफस्टाइल

स्पाइनल डिस्क प्रोलैप्स युवावस्था से ही रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करने लगती है और भविष्य में स्पाइनल आर्थराइटिस का कारण बनती हैं।

बरतें सावधानी

बैठने के दौरान कमर सीधी रखें ताकि रीढ़ की हड्डी पर जोर न पड़े। भारी वस्तु को उठाने के लिए अचानक न झुकें और काम के दौरान सही पॉश्चर का ध्यान रखें। रीढ़ की हड्डी की मजबूती के लिए विशेषज्ञ की सलाह से कमर से जुड़े वर्कआउट में स्पाइनल स्टेटिक एक्सरसाइज को शामिल करें।

लक्षण

कमर की मांसपेशियों में खिंचाव, अकड़न, चुभन, चलने, उठने-बैठने में परेशानी और कमर के आस-पास के अंगों में दर्द के साथ मांसपेशी में ऐंठन।

ज्यादा प्रभावित

लबें समय तक सिटिंग जॉब या भार उठाने का काम करने वालों को यह दिक्कत ज्यादा होती हैं। 60 से अधिक उम्र के लोगों, महिलाओं में मेनोपॉज के बाद अधिक मोटे व्यक्ति जिनमें विटामिन–डी की अत्यधिक कमी हो, उनमें भी यह परेशानी होती हैं।

रोगों के संकेत

कई मामलों में किडनी का संक्रमण या पथरी का दर्द की शुरूआत कमर दर्द से होती हैं। नर्वस सिस्टम संबंधी परेशानियों और रीढ़ की हड्डी में होने वाले इंफेक्शन से भी कमर दर्द की शिकायत रहती हैं। कम्प्यूटर के सामने लंबे समय तक बैठे रहने या झुककर बैठने से आजकल यह समस्या बच्चों को भी होने लगी हैं।

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