आयुर्वेद- नीम के तेल से मच्छरों को करें बाय-बाय
नीम की निम्बोली के अंदर इसका बीज होता है। बीज में लगभग 45 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। नीम के तेल के गन्धित तत्व गन्धक युक्त माने जाते हैं। इसीलिए नीम गन्धक का भंडार माना जाता है। बीज से जो तेल निकलता है। उसे मारगोसा तेल भी कहते हैं।
नीम का तेल गण्डमाला, पुराने घावों, फोडों, दाद, खुजली, जले घावों आदि त्वचा रोगों में प्रयोग किया जाता है। त्वचा रोगों की यह रामबाण दवा है।
इसके तेल का प्रयोग गर्भ निरोधक के रूप में भी किया जाता है। यह मसूढ़ों से खून बहने तथा पायरिया में भी उपयोगी सिद्ध होता है।
नीम के तेल को प्रतिदिन सिर पर लगाने से जुंए और लीखें समाप्त कर हो जाती है।
नीम के तेल का दीपक जलाने से मच्छर और पतंगे दूर भागते हैं।
दोस्तों, जितना हो सके आयुर्वेदिक ही इलाज कीजिए इसका कोई साईड इफेक्ट नहीं होता और बीमारी जड़ से खत्म होती है।
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