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Aparajita Flower Farming: अपराजिता के फूलों से बनती है चाय, इसकी खेती करके कमा सकते हैं तिगुना मुनाफा!

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Aparajita Flower Farming : अपराजिता फूलों की खेती देश में औषधीय फसलों की खेती किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय हो रही है। सरकार सुगंधा मिशन के तहत इन फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। अपराजिता भी ऐसी ही एक फसल है, जिसे बटरफ्लाई मटर के नाम से भी जाना जाता है। इसकी गणना दलहन और चारा फसलों में भी की जाती है।

Aparajita Flower Farming : कई रोगों में लाभकारी-

इसके बीज और फलियों का उपयोग भोजन बनाने में किया जाता है। वहीं इसके फूलों से ब्लू टी बनाई जाती है। यह ब्लू टी डायबिटीज जैसी बीमारी के लिए फायदेमंद होती है। वहीं, आप इस पौधे के बाकी हिस्सों को जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। यानी एक फसल, तीन गुना मेहनत और तीन गुना मुनाफा।

Aparajita Flower Farming :ऐसे करें खेत-

अपराजिता की फसल गर्म से सूखे की स्थिति में अच्छी तरह से विकसित होती है। यह मिट्टी और जलवायु से प्रभावित नहीं है। बीज बोने से पहले उपचारित करना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार बुवाई 20 से 25 × 08 या 10 सेमी की दूरी पर और ढाई से तीन सेमी की गहराई पर करनी चाहिए।

जितना उत्पादन कर सकते हैं –

उसकी फलियों की कटाई समय से करें, नहीं तो उसकी फलियाँ जमीन पर गिरकर खराब हो जाएँगी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अपराजिता की खेती एक हेक्टेयर में करने से 1 से 3 टन सूखा चारा और 100 से 150 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर आसानी से मिल जाता है। इसके उत्पादन में 500 से 600 किलोग्राम बीज लिया जा सकता है।

इसके फूल और उत्पाद कई देशों को निर्यात किए जाते हैं। ऐसे में किसान को अपनी खेती से अच्छा लाभ मिल सकता है। भारत के अलावा, अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों में इसकी व्यापक रूप से खेती की जाती है।

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