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अश्वगंधा खाने के गजब के फायदे, और उपयोग

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अश्वगंधा में विटानिआल, एमिनो एसिड, अम्ल स्टार्च, ग्लाइकोसाइड तत्व पाये जाते है. इस के अलावा अश्वगंधा का उपयोग वीर्यवर्धक, मांसवर्धक, स्तन्यवर्धक, गर्भधारना, यौनशक्ती वर्धक के लिये पुरातन काल से उपयोग में लाया जाता है.

क्षयरोग के मरीज को अश्वगंधा के पत्तो का काढा बनाकर पिलाने से या अश्वगंधा के जडो का चूर्ण सुबह खाली पेट कुच्छ महिने देने से क्षयरोग में फायदा मिलता है. साथ ही कमर दर्द से अगर कोई पिडीत है एैसे मरीज को अश्वगंधा का चूर्ण देशी गाय के घी में मिलाकर थोडी चिनी के साथ खाने से कमर दर्द में लाभ मिलता है.

वृद्धावस्था में नवयौवन प्राप्ती के लिये दुर्बलता के लिये अश्वगंधा का चूर्ण मिश्री के चूर्ण में मिलाकर 6 महिने तक सुबह शाम गाय के दुध में मिलाकर पिनेसे यौवन संबंधी और दुर्बलता संबंधी रोग नष्ट होते है. नई शक्ती प्राप्त होती है. व्यक्ती बलवान बनता है.

शिशु अगर ज्वर रोग से परेशान है एैसे शिशु को पुष्ट सुडौल बनाने के लिये अश्वगंधा का चूर्ण दो चमच, एक कप गाय का दुध, अदा चमच गाय का घी साथ गर्म करके शिशु को पिलाने से ज्वर रोग आदि में लाभ मिलेगा.

अगर गर्भवती स्त्री कमजोर है. एैसे स्त्री को अश्वगंधा का चूर्ण आदे कप पानी में गर्म करके उस में थोडी मिश्री का चूर्ण मिलाकर पिलाने से 2-3 महिने में गर्भवती स्त्री को बल पुष्टी पात्र होगी.

इस के साथ गर्भवती स्त्री को 8 महिने के समाप्ती में अश्वगंधा, शतावर, मुलहाठी, विदारीकंद इन चारो का समान मात्रा में चूर्ण लेकर गाय के दुध में सुबह शाम पिलाने से गर्भवती महिला के स्तनो में दुध की मात्रा बढ जायेगी और शिशु के लिये ये दुध पौष्टिक रहेगा.

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