आखिर श्रीलंका को “सीलोन” क्यों कहते थे, आइये जानते हैं

आप शायद श्रीलंका के रूप में भारत के इस बड़े द्वीप के बारे में जानते हैं, लेकिन 1972 तक इसे सिलोन कहा जाता था। जब द्वीप सदियों पहले उपनिवेशित किया गया था तब यूरोपीय लोगों ने इसका नाम दिया था।
श्रीलंका का पुराना “सीलोन” नाम है। 1972 के पहले तक इस देश को इसी नाम से जाना जाता था। पर सन 1972 में सीलोन नाम बदलकर इसे “लंका” नाम दिया गया। परन्तु 1978 में इसके आगे सम्मान सूचक शब्द “श्री” जोड़कर इसे श्रीलंका कर दिया गया।
यहां पर रहने वाले लोगों को श्रीलंकन कहा जाता है तथा श्रीलंका की राजभाषा सिंहला और तमिल है।
1948 तक ब्रिटिश नियंत्रण के तहत, यह एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया और 1972 में श्रीलंका बनने के बाद अपने औपनिवेशिक मोनिकर को फेंक दिया।
21वीं शताब्दी की शुरुआत में कुछ गृहयुद्ध के बाद, क्षेत्र अब स्थिर है। 2011 में, देश ने उपनिवेशवाद के किसी भी निवासी को हटाने के प्रयास में अभी भी सिलोन नामक किसी भी राज्य संस्थान का खिताब बदलने का फैसला किया।
प्राचीन श्रीलंका की पहली राजधानी अनुराधापुरा थी जो लगभग 1400 वर्ष तक इस देश की राजधानी रही | उस दौर को अनुराधापूरा साम्राज्य के नाम से जाना जाता था | यही वो समय था जब भारत से बुद्ध के दांतों का अवशेष अनुराधापुरा आया था |
इसी दौर में श्रीलंका के मूल निवासी सिन्हाली ने बुद्ध धर्म को अपनाना शुरू किया | ये दौर तं खत्म हुआ जब दक्षिण भारत के राजाओं ने इस साम्राज्य पर हमला कर इस पर कब्जा कर लिया | तब श्रीलंका की राजधानी बदलकर पोलोंनारुवा कर दी गयी |
यह अब एशिया में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।
आप भी एकबार श्री लंका घूमने जरूर जाइये।
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