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बिना वर्दी वाला एक बेजुवान, जिसके नाम से थर्राते हैं अपराधी, पुलिस अफसर देते हैं सम्मान

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मध्यप्रदेश:- एक बेजुवान वर्दीवाला, जिसके नाम से थर्राते हैं अपराधी, पुलिस अफसर देते हैं सम्मान। जी हां! यह एकदम सही खबर है। इस वर्दीवाले का नाम है- जॉन। दरअसल, यह एक स्निफर डॉग है यानि की पुलिस का प्रशिक्षित श्वान। बतौर एएसआई अपनी तकरीबन दस साल की पुलिस सेवा में जॉन ने न केवल हर मुहिम में सफलता ही हासिल की बल्कि, कई कीर्तिमान भी अपने नाम किए।

साल 2009 से मध्यप्रदेश के बैतूल में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (आरपीएफ) में तैनात स्निफर श्वान ASI जॉन 9 साल 10 माह की सेवा देने के बाद सोमवार को सेवानिवृत्त हो गया। बताया गया है कि, अपनी रूटिन ड्यूटी के साथ ही उसने कॉमनवेल्थ गेम्स समेत कई महत्वपूर्ण व बड़े अवसरों पर भी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए शांति-व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

‘जॉन’ के सेवानिवृत्त होने के मौके पर उसे विदाई देते समय आरपीएफ और रेलवे अफसरों की आंखें नम हो रहीं थीं। ‘जॉन” को बिदाई देने के लिए बाकायदा समारोह आयोजित हुआ। यहां जॉन को लाने पर फूलों की माला पहनाकर उसका स्वागत किया।

A lifeless man with no name, criminals trembling in his name, police officers give respect

आरपीएफ स्टाफ ने बताया कि जॉन के नाम से ही डर के मारे अपराधी थर्राते थे। जॉन ने बैतूल में सेवा देने के साथ-साथ बैतूल के बाहर भी कई स्थानों पर बड़े आयोजनों में सेवा दी है। बेहतर ड्यूटी निभाने पर आरपीएफ के आईजी की तरफ से इसे सम्मान भी दिया जा चुका है। रेलवे के उच्च अधिकारियों ने भी डॉग की सराहना की है।

विदाई के मौके पर आरपीएफ के अधिकारियों सहित अन्य लोगों ने उसे कई गिफ्ट भी दिए। अब वह शेष जीवन नागपुर के एक एनजीओ में बतौर रिटायर्ड अफसर बिताएगा । कुछ समय पहले एक अन्य डॉग टाइगर को भी वही एनजीओ ले गया था।

इधर जॉन के रिटायर होने के बाद आरपीएफ डॉगविहीन हो गया है। कुछ माह पहले टाइगर रिटायर हुआ था। अभी एक छोटा डॉग ट्रेनिंग पर गया हुआ है। अब उसकी ट्रेनिंग पूरी होकर वह जब तक बैतूल थाना को नहीं मिल जाता, तब तक आरपीएफ को बिना डॉग के ही काम चलाना पड़ेगा। ऐसे में अब स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर स्टेशन और ट्रेनों पर होने वाली चेकिंग केवल सिटी पुलिस के डॉग की मदद से ही की जाएगी।

जॉन के डॉग हैंडलर एएसआई पूरनसिंह सल्लाम ने बताया कि डॉग को नागपुर एनजीओ के हवाले किया जाएगा। मैं अधिकारियों से निवेदन करूंगा कि डॉग को मेरे सुपुर्द किया जाए, ताकि रिटायर्ड होने के बाद इसकी मैं पूरे जीवन काल तक सेवा कर सकूं। कई वर्षों से डॉग जॉन मेरे साथ रहा है। अब उससे आत्मीय लगाव हो गया है, वह परिवार के सदस्य की तरह है। दुख इस बात का है कि वह रिटायर हो रहा है।

हर जगह मिली जॉन को सराहना

आरपीएफ के मुताबिक जॉन की वर्ष 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स में ड्यूटी लगी थी। इस दौरान नईदिल्ली में जॉन को 40 दिनों तक ट्रेनों में चेकिंग अभियान चलाया गया। उच्च अधिकारियों ने भी जॉन की सराहना की। वर्ष 2012 में परासिया में जॉन तैनात रहा। उस समय भी जॉन की कोई शिकायत नहीं मिली।

आईजी ने रिवार्ड देकर उसकी सराहना की। वर्ष 2013 में इलाहबाद कुंभ मेले में डॉग की ड्यूटी लगाई गई थी। जॉन ने पूरे समय कुंभ मेले में रेलवे स्टेशन पर चैकिंग की जिम्मेदारी संभाली। वर्ष 2014 में नागपुर में स्पेशल ट्रेनों की चैकिंग के दौरान ड्यूटी लगाई गई थी। वर्ष 2015 में बैतूल स्टेशन पर चैकिंग के दौरान डॉग की मदद से 14 नग गांजे के पैकेट ट्रेन से बरामद किए गए।

मुंबई जीएम और आईजी ने डॉग को प्रमाण पत्र देकर उसकी सराहना की। वर्ष 2015 में रेल मंत्री के कार्यक्रम में जॉन की ड्यूटी लगाई गई थी। वर्ष 2016 में 26 जनवरी के समय नागपुर परेड ग्राउंड में सुरक्षा की जिम्मेदारी जॉन को दी गई। वर्ष 2017 में ट्रेनों में चेकिंग के दौरान 17 किलो गांजा जॉन की सहायता से जब्त किया था।

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