5 मिनट इस दिशा में ईशान कोण वैसे भी देवताओं का स्थान माना गया है यहां स्वयं भगवान शिव का भी वास होता है देव गुरु बृहस्पति और केतु की दिशा भी ईशान कोण ही माना गया है यही कारण है कि यह कोण पूजा-पाठ या अध्यात्म के लिए सबसे बेहतर होता है धन की इच्छा हेतु मंदिर को उत्तर दिशा की ओर होना चाहिये।
पूजा घर का दरवाजा लम्बे समय तक बंद नहीं रखना चाहिए यदि पूजाघर में नियमित रूप से पूजा नहीं की जाए तो वहाॅ के निवासियों को दोषकारक परिणाम प्राप्त होते हैं पूजाघर में गंदगी एवं आसपास के वातावरण में शौरगुल हो तो ऐसा पूजाकक्ष भी दोषयुक्त होता हैं चाहे वह वास्तुसम्मत ही क्यों न बना हो क्योंकि ऐसे स्थान पर आकाश तत्व एवं वायु तत्व प्रदूषित हो जाते हैं।
जिसके कारण इस पूजा कक्ष में बैठकर पूजन करने वाले व्यक्तियों की एकाग्रता भंग होती हैं तथा पूजा का शुभ फला प्राप्त नहीं होता विधार्थियो को या ज्ञान प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को पूर्व दिशा में मंदिर कि स्थापना करनी चाहिये और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पूजा करना चाहिए वास्तु मना करता है इन जगहों पर मंदिर जैसे घर में सीड़ियों के नीचे शौचालय या बाथरूम के बगल में या ऊपर नीचे और बेसमेंट में मंदिर का होना घर की खुशहाली और समृधि के लिए उत्तम नहीं माना जाता है