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हिन्दू धर्म में 4 तरह की महिलाओं का अपमान करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी ख़ुश नहीं रह सकता

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हिन्दू धर्म का इतिहास सदियों से चला आ रह है यहाँ कि भूमि को संतों और ऋषि की भूमि माना जाता है, प्राचीन समय में जितने भी व्यक्ति हुए वे तपस्वी एवं महा ज्ञानी थे उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति के बल से सर्व ज्ञान प्राप्त कर लिया था। वे शास्त्रों को भली भांति जानते है। हम ऐसा कह सकते है कि प्राचीन समय के मुनि आज के दौर से हज़ारों गुना आगे थे इसलिए उन्हें सर्व ज्ञानी कहा जाता है।

सनातन धर्म प्राचीन समय से महिलाओं का सम्मान करता आया है जिसके प्रमाण पौराणिक ग्रंथों में भी मिलते है, शास्त्रों के मतानुसार ऐसी स्त्री का अपमान करने वाले लोग कभी सुखी जीवन नहीं जी सकते है।

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भाई की पत्नी-

शास्त्रों के अनुसार बड़े भाई की पत्नी को माँ का दर्जा दिया जाता है जो व्यक्ति उनके साथ बुरा व्यवहार करता है वह किसी पशु से कम नहीं है वहीं छोटे भाई की पत्नी बेटी के समान होती है जो व्यक्ति इनका पतन करता है उसका अंत बहुत बुरा होता है और यह बात सनातन सत्य है।

बहन-

इस संसार में माँ के बाद यदि कोई स्त्री व्यक्ति का भला विचार सकती है तो वह उसकी बहन है यदि कोई व्यक्ति अपनी बहन का असम्मान करता है या उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचाता है तो वह चाह कर भी सुखी नहीं रह सकता।

माता-

संसार में आँख खोलने के बाद व्यक्ति को दुनिया के दर्शन करवाने वाली माँ का कभी दिल दुखाना नहीं चाहिए, जो व्यक्ति अपनी माता को सुख देने के बजाय दुःख देता है वह जीवन के उच्च शिखर पर जाने के बाद भी सुखी जीवन व्यतीत नहीं कर सकता और यह सनातन सत्य है।

धर्म पत्नी-

जीवन के हर मोड़ पर व्यक्ति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली उसकी पत्नी साक्षात लक्ष्मी स्वरूपा है जो अधर्मी व्यक्ति अपनी पत्नी के विश्वास के साथ खेलता है वह जीवन में सबकुछ प्राप्त करके भी अधूरा ही रहता है।

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