यहां मिलता है 21 किलो का समोसा, 10 किलो का गुलाब जामुन और 8 किलो की कचौड़ी, ज़रूर देखिए
अपने शानदार स्वाद के चलते बीकानेर का खान-पान देश और दुनिया में बेहद लोकप्रिय है। लेकिन इन दिनों एक और वजह है जिस वजह से बीकानेरी खानों का चर्चा हर तरफ हो रहा है। और ये वजह है उस आदमी का अपने पेशे के प्रति समर्पण का भाव जिसने अपने शौक के चलते अपनी दुकान को बीकारने की सबसे मशहूर दुकानों में से एक बना दिया है। इनका नाम है धर्मेंद्र अग्रवाल और बीकानेर के लोग इन्हें चटखारे का बादशाह भी कहते हैं। सालों से बीकानेर अपने खानों की मिठास के चलते हर फूडी का फेवरिट फूड हैवन रहा है, लेकिन धर्मेंद्र अग्रवाल ने अब बीकानेरी खानों के स्वाद में थोड़ा सा बदलाव ला दिया है। .
धर्मेंद्र अग्रवाल बीकानेर के ही रहने वाले हैं।
सालों से इनका परिवार बीकानेर वालों और बीकानेर घूमने आने वालों को मिठाई और नमकीन बनाकर खिलाता आ रहा है। एक दौर वो भी था जब धर्मेंद्र अपने भाईयों के साथ शहर में पानी के पताशों का ठेला लगाया करते थे। एक दिन इनके तैयार किए हुए मसाले में पिसी लाल मिर्च का पूरा पैकेट गिर गया। उनका बनाया हुआ सारा मसाला खराब हो गया। उस मसाले को फेंकने की बजाय इन्होंने उसमें पानी पताशे डाल दिए। जब इन्होंने उस मसाले में डाले पताशों को चखा तो इन्हें लगा कि शायद ये लोगों को पसंद आएगा। वो लोग जो रोज़ उनकी दुकान पर आकर पानी के पताशे खाया करते थे, उन्हें उन अनोखे और चटपटे पताशों का स्वाद बहुत ही पसंद आ गया। और वहीं से शुरू हो गई धर्मेंद्र अग्रवाल की बीकानेर के चटखारे के बादशाह बनने की कहानी।
धर्मेंद्र अग्रवाल अपने खाने के साथ एक्सपेरीमेंट करते रहते थे। एक दिन उन्होंने पत्ता गोभी के पताशे बनाए। फिर एक बार इन्होंने आलू-प्यार का फ्लेवर लिए पताशे बनाए। और इस तरह अनेक नए आईडियाज़ इनके दिमाग में आते गए और ये उन्हें आजमाते गए। कमाल की बात ये है कि इनके हर नए स्वाद को लोगों ने पसंद किया। धर्मेंद्र अग्रवाल को 121 प्रकार के गोल गप्पे बनाने आते हैं और इनकी इसी खासियत ने इनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शुमार करा दिया। ये साल 2010 की बात है। तब से लेकर अब तक धर्मेंद्र ने अपने गोल गप्पे बनाने के हुनर में और इजाफा किया और आज धर्मेंद्र 150 से भी ज़्यादा वैराइटी के गोल गप्पे बनाते हैं।
आज धर्मेंद्र अग्रवाल की दुकान पर लोगों को कई अनोखे आइटम्स मिलते हैं। जैसे कि 10 किलो का गुलाब जामुन मिलता है, 21 किलो वाला समोसा मिलता है, 25 तरह की कचौरियां मिलती हैं, 121 प्रकार के दही बड़े मिलते हैं, 8 किलो की कचौरी मिलती है और 70 से भी अधिक प्रकार के गुजराती फाफड़े मिलते हैं। इतना ही नहीं, धर्मेंद्र की दुकान पर ऊंटनी के दूध से बने गोलगप्पे भी मिलते हैं। 56 किलो की आलू टिकिया मिलती है, 30 प्रकार की जलेबियां मिलती हैं, 150 प्रकार के छोले भटूरे मिलते हैं। 56 प्रकार के कांजी बड़े मिलते हैं। कई तरह की पूड़ियां मिलती हैं। 2 फीट लंबा 15 किलो का समोसा भी मिलता है और 70 तरह की बेसन की पापड़ियां भी मिलती हैं।
अब इतने सालों बाद धर्मेंद्र अपने जीवन से खुश हैं और कहते हैं कि उन्हें अच्छा लगता है जब बीकानेरवासी और बीकानेर आने वाले टूरिस्ट्स स्पेशली उनकी दुकान पर चटखारेदार आइटम्स का स्वाद लेने के लिए आते हैं। इनकी शॉप बीकानेर के अणचाबाई हॉस्पिटल के पास मौजूद है। अब तो देश के दूसरे हिस्सों से भी धर्मेंद्र को विशेष ऑर्डर पर बुलाया जाता है। बैंगलौर की एक शादी में इन्होंने 51 तरह के गोलगप्पे मेहमानों को परोसे तो इनकी धाम जम गई। वहीं से इनकी तरक्की होनी भी शुरू हो गई। देश के दूसरे हिस्सों से भी रसूखदारों की शादी में धर्मेंद्र को ही बुलाया जाता है। धर्मेंद्र स्वाद के अलावा साफ-सफाई का भी बेहद ध्यान रखते हैं।
धर्मेंद्र कहते हैं कि उनका ग्राहक उनकी मर्ज़ी का पैसा देने के लिए तैयार रहता है तो फिर वे भला उच्च क्वालिटी का माल उन्हें क्यों ना दें। बकौल धर्मेंद्र, ‘जैसा स्वाद मैं अपने घरवालों को देना पसंद करता हूं वैसा ही स्वाद मुझे अपने ग्राहकों को भी देना पसंद है।’ बता दें कि धर्मेंद्र के दादाजी भी एक विशेष प्रकार के लड्डू बनाने में माहिर थे और उनका भी बीकानेर में बढ़िया नाम था। धर्मेंद्र खुश हो जाते हैं ये सोचकर कि वो अपने दादा की परंपरा को कुछ नए स्वादों के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।