200% लोगो को पता ही नहीं है बबासीर को छुमंतर कर दे ये अनोखा छुईमुई का पौधा, क्या आप को पता है?
छुईमुई पौधा नमी वाले स्थानों में ज्यादा पाया जाता है इसके छोटे पौधे में अनेक शाखाएं होती है इसका वानस्पतिक नाम माईमोसा पुदिका है. संपूर्ण भारत में होने वाला यह पौधा अनेक रोगों के निवारण के लिए उपयोग में लाया जाता है इनके पत्ते को छूने पर ये सिकुड़ कर आपस में सट जाती है इस कारण इसी लजौली नाम से जाना जाता है इसके फूल गुलाबी रंग के होते हैं छुईमुई का पौधा एक विशेष पौधा है इसके गुलाबी फूल बहुत सुन्दर लगते हैं और पत्ते तो छूते ही मुरझा जाते हैं इसे छुईमुई कहते हैं
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छुईमुई पौधे के औषधीय उपयोग-
1.मधुमेह रोगियों के लिए- यदि छुईमुई की 100 ग्राम पत्तियों को 300 मिली पानी में डालकर काढ़ा बनाया जाए तो यह काढ़ा मधुमेह के रोगियों को काफी फायदा होता है
2.दस्त ग्रस्त रोगियों के लिए- छुईमुई की जड़ों का चूर्ण 3 ग्राम दही के साथ खूनी दस्त से ग्रस्त रोगी को खिलाने से दस्त जल्दी बंद हो जाती है वैसे डाँगी आदिवासी मानते है कि जड़ों का पानी में तैयार काढ़ा भी खूनी दस्त रोकने में कारगर होता है
3.बबासीर वाले रोगियों के लिए- छुई-मुई की जड़ और पत्तों का पाउडर दूध में मिलाकर दो बार लेने से बवासीर रोग ठीक होता है पत्तियों के रस को बवासीर के घाव पर सीधे लगाने से घाव जल्दी सुख जाता है और अक्सर होने वाले खून के बहाव को रोकने में भी मदद करता है