सावन माह में 5 अगस्त को नागपंचमी का त्योहार आने वाला है जिसका इंतजार लोग बेसब्री से करते हैं। इस बार का नागपंचमी बेहद ही खास है क्योंकि इस साल सावन के सोमवारी के दिन ये पर्व मनाया जाएगा। 20 सालों बाद बना हैं। ऐसे में भगवान शिव और नागदेवता दोनों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता हैं क्योंकि नाग, भगवान शिव के गले का हार हैं।
भगवान शिव व नाग देवता का बेहद ही गहरा संबंध है कहा जाता है कि वासुकी नाग ने भगवान शिव की सेवा करना स्वीकार किया था और यह कैलाश पर्वत के पास ही अपना राज्य चलाता था। इसी वजह से वासुकी के जैसा ही बाकी के नाग भी अपना कुल अलग-अलग जगहों पर चलाते लेकिन वासुकी भगवान शिव का परम भक्त था, जिसके कारण भगवान शिव ने उसे अपने गणों में शामिल किया और नागों ने ही सबसे पहले शिवलिंग की पूजा शुरू की थी।
शास्त्रों की माने तो सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागदेव का पूजन करने की परंपरा है। इस बार ये तिथि 4 अगस्त शाम 6.48 बजे शुरू हो जाएगी और 5 अगस्त दोपहर 2.52 बजे तक रहेगी। नाग पूजन का समय 5 अगस्त सुबह 6 से 7.37 तक और 9.15 से 10.53 तक रहेगा।
देखा जाए तो नाग पंचमी पर सोमवार का संयोग अरिष्ट योग की शांति के लिए विशेष संयोग माना जाता है। इस दिन शिव का रुद्राभिषेक पूजन और कालसर्प दोष का पूजन का शुभ योग माना जाता है।
ऐसे करें पूजा
बता दें कि नागदेव की पूजा के दौरान हल्दी का प्रयोग करना बेहद ही ज्यादा आवश्यक है, धूप, दीप अगरबत्ती से पूजन करें एवं देवताओं के समान ही मीठा भोग प्रतीक रूप से लगाएं एवं नारियल अर्पण करें। कई लोग इस दिन कालसर्प का पूजन करते है पर यह जरूरी नहीं है कि इस दिन ही कालसर्प की पूजा की जाए। ध्यान रहे कि कभी भी सपेरे द्वारा पकड़े गए नाग की पूजा नहीं करनी चाहिए, अक्सर ही नाग देव की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि नाग का पूजन नाग मंदिर में ही करना श्रेष्ठ माना गया है न कि घर में।
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