शंख व तुलसी के अलावा इन 4 चीजों का शिव पूजा में नहीं करना चाहिए प्रयोग
हिन्दू धर्म के विशेष माह में से एक है सावन का महिना, ये माह खासकर शिवभक्तों के लिए जितना खास होता है उतना ही पवित्र भी होता है। बता दें कि इस माह में सभी शिव भक्त अपने इष्ट देव भगवान शिव की अराधना में लीन रहते हैं। माना जाता है कि ये माह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम माह होता है। हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लोग ये बात तो जानते ही होंगे कि किसी भी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए या फिर उनकी पूजा करने के लिए विशेष सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है और विशेष विधि का भी प्रयोग किया जाता है।
पर कुछ ऐसी सामग्रियां और विधियां होती हैं जो विशिष्ट आराध्य देव को बहुत पसंद होती हैं, उनकी पूजा में उन सामग्रियों की उपलब्धता मनोवांछित फल मिलता है, इसके साथ ही कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जिनके प्रयोग करने से उल्टा परिणाम मिलता है। इसलिए आज हम आपको भगवान शिव की पूजा के बारे में विशेष जानकारी देने जा रहे हैं। भगवान शिव जहां एक तरफ अपने भक्तों से काफी जल्द प्रसन्न हो जाते हैं तो वहीं दूसरी ओर क्रोधित भी हो जाते हैं। भगवान शिव को भांग- धतूरे का चढ़ावा बहुत पसंद है, पर कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो भगवान शिव को बिल्कुल भी पसंद नहीं है इसलिए उनकी पूजा में इसका प्रयोग गलती से भी नहीं करना चाहिए। तो आइए जानते हैं कौन सी हैं वो चीजें
केतकी के फूल
शास्त्रों में बताया गया है कि केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में उनका साथ दिया था जिसकी वजह से भगवान शिव उनसे नाराज हो गए थें और उन्होने केतकी के फूल को श्राप दिया और कहा कि शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा। जिसकी वजह से शिव को केतकी के फूल अर्पित नहीं किए जाते हैं।
तुलसी का पत्ता
तुलसी का पत्ता भी भगवान शिव की पूजा में शामिल नहीं किया जाता है बाकी देवी-देवताओं के पूजा में तुलसी का प्रयोग किया जाता है लेकिन भगवान शिव के पूजा में इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध किया था यही कारण है कि उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया था।
शंख से जल
शंख से जल चढ़ाना भी भगवान शिव की पूजा में वंचित रखा गया है, दरअसल भगवान शिव ने त्रिशूल से उसका वध किया था, जिसके बाद उसका शरीर पूरी तरह से भस्म हो गया था और उस भस्म से ही शंख की उत्पत्ति हुई थी। भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध किया इसलिए कभी भी शंख से शिवजी को जल अर्पित नहीं किया जाता है।
कुमकुम या सिंदूर
इसके अलावा सिंदूर को भी भगवान शिव पर अर्पित नहीं किया जाता है क्योंकि सिंदूर को विवाहित स्त्रियों का गहना माना गया है। स्त्रियां अपने पति की लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना हेतु अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं और भगवान को भी अर्पित करती हैं। पर भगवान शिव तो विनाशक है और यही कारण है कि सिंदूर से भगवान शिव की सेवा नहीं की जाती है।
नारियल का पानी
इन सभी चीजों के अलावा भूल से भी शिवलिंग पर नारियल का पानी अर्पित नहीं करना चाहिए, क्योंकि नियम ये है कि भगवान को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद ग्रहण किया जाता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर जिन चीजों का अभिषेक किया जाता है उसे ग्रहण नहीं करना चाहिए इसलिए शिव पर नारियल का जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
हल्दी
भगवान शिव के अलावा बाकी सभी देवी देवताओं की पूजा में हल्दी का प्रयोग किया जाता है लेकिन शिव जी पर हल्दी चढ़ाने की मनाही है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों संबंधित वस्तु है। इसी वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है।
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