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मध्य प्रदेश में भी हाथरस जैसा मामला सामने आया, पुलिस ने गैंगरेप की रिपोर्ट नहीं लिखी तो पीड़िता ने दे दी जबरन जान

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भोपाल: मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में हाथरस जैसी दुखद घटना सामने आई है। जब गैंगरेप पीड़िता की रिपोर्ट नरसिंहपुर के रिछई गांव के चिचली थाना क्षेत्र में लिखी गई, तो पीड़िता ने आत्महत्या कर ली। दरअसल पीड़िता और उसके पति ने आरोप लगाया कि पड़ोस में रहने वाले 3 लोगों ने पत्नी का गैंगरेप किया। पीड़िता अपने परिवार के साथ एफआईआर दर्ज करने के लिए 4 दिनों तक थाने के चक्कर लगाती रही लेकिन पुलिस ने पीड़ितों को थप्पड़ मारा और पैसे की मांग की।

मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एडिशनल एसपी और एसडीओपी को हटाने का आदेश दिया है। सीएम ने एफआईआर न लिखने वाले थाना प्रभारी के खिलाफ मामला दर्ज करने का भी निर्देश दिया। सूत्रों के मुताबिक, मामला 28 सितंबर का है जब नरसिंहपुर के रिछई गांव की एक दलित महिला एक खेत में घास काटने गई थी और तीनों आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था। परिवार के सदस्यों का आरोप है कि वह शिकायत दर्ज कराने के लिए गोटेरिया थाने और चिचली थाने के चक्कर लगा रहा था लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की।

मध्य प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था और बलात्कार की घटनाओं को लेकर पीसीसी चीफ कमलनाथ ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि यह भाजपा शासित राज्यों में बेटी बचाओ-बेटी पढाओ के नारों की वास्तविकता है? यूपी के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी बहन-बेटियों पर अत्याचार की घटनाएं जारी हैं। खरगोन, सतना, जबलपुर के बाद, नरसिंहपुर के चिचली थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक गाँव में एक दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। इसके विपरीत, यह पीड़ित परिवार है जिसे परेशान किया जा रहा है। पीड़िता ने जबरन अपनी जान दे दी। यह कानून का पालन कैसे करता है? दोषियों पर मुकदमा क्यों नहीं? इन घटनाओं पर चुप्पी क्यों जिम्मेदार? आज प्रदर्शनकारी कहां हैं जो इस तरह की घटनाओं का विरोध कर रहे हैं?

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