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दुनिया का सबसे शक्तिशाली ब्राह्मण, जिसमें 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था!!

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शक्तिशाली ब्राह्मण: यह संसार अनेक रहस्य को अपने अंदर छुपाये हुए है प्राचीन समय में ऐसे महान व्यक्ति हुआ करते थे जो अपनी ताकत के बल से हज़ारों लोगों की सेनाओं को रोकने का साहस रखते थे। आज हम आपको एक ऐसे ब्राह्मण पुत्र के बारे में बताने जा रहे है जिनके अंदर जन्म से ही क्षत्रिय के समान गुण थे।

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ब्राह्मण The powerful Brahmin of the world, which was the massacre of 21 times Kshatriyas !!

एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी सेना के साथ जमदग्नि ऋषि के आश्रम में पहुँचा, सहस्त्रार्जुन की सेना काफ़ी थक चुकी थी इसलिए जमदग्नि ने पूरी सेना के भोजन का प्रबंध किया, यह देखकर सहस्त्रार्जुन चौंक गया कि एक ऋषि ने इतनी जल्दी पूरी सेना का भोजन कैसे तैयार कर दिया? तब ऋषि ने बताया कि उनके पास देवराज इन्द्र से प्राप्त दिव्य गुणों वाली कामधेनु नाम की अदभुत गाय है जो हर इच्छा पूर्ण करती है।

The powerful Brahmin of the world, which was the massacre of 21 times Kshatriyas !! (2)

तब राजा के मन में उस इस अद्भुत गाय को पाने की लालच जागी लेकिन ऋषि ने वह गाय देने से इंकार कर दिया परन्तु राजा ने ऋषि की एक ना सुनी और आश्रम को उजाड़ कर उस गाय को लेने की कोशिश करने लगा इतने में वह गाय उड़कर स्वर्ग लोक चली जाती है। जब यह बात जमदग्नि ऋषि के पुत्र भगवान परशुराम को पता चली तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन की सेना को मार कर उसका वध कर दिया, जिसके बाद परशुराम पिता के आदेश से वध का प्रायश्चित करने तीर्थ यात्रा पर चले गए।

ब्राह्मण परशुराम ने बदला लेने की ठानी

ब्राह्मण The powerful Brahmin of the world, which was the massacre of 21 times Kshatriyas !! (2)

लेकिन मौका पाते ही सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने पिता का बदला लेने के लिए सहयोगी क्षत्रियों की मदद से ऋषि जमदग्नि का वध कर दिया, यह देख परशुराम की माँ रोने लगी और अपने पुत्र को पुकारने लगी, तीर्थयात्र से लौटने के बाद जब परशुराम ने अपने पिता को मृत अवस्था में देखा तो उनके शरीर के घाव गिनने लगे। पिता के शरीर पर 21 घाव देखकर परशुराम ने वचन दिया कि वे 21 बार इस पृथ्वी से क्षत्रियों का नाश कर देंगे।

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पुराणों में इस बात का प्रमाण है कि विष्णु अवतार परशुराम ने 21 बार इस संसार से क्षत्रियों का नाश करके उनके लहू से समुंद्र भर दिया था जिसके बाद महर्षि ऋचीक ने परशुराम को इस घोर कृत्य करने से रोका था तत्पश्चात भगवान परशुराम अपने पितरों का श्राद्ध किया और उनकी आज्ञा अनुसार अश्वमेध और विश्वजीत यज्ञ किया था।

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यह परशुराम और कोई नहीं बल्कि साक्षात विष्णु के अवतार थे उस समय प्रजा को क्षत्रियों के हत्याचार से बचाने के लिए ब्राह्मण के घर में विष्णु जी ने अवतार लिया था,

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