दीपावली का त्योहार मनाने के 14 कारण, जो हर हिन्दू को जानने चाहिए
हिन्दुओ के लिए दीपावली के त्योहार को लेकर समाज में कई तरह की धारणाएं, परंपराएं और रीति-रिवाज प्रचलित है। उन धारणाओं में से कुछ का तो हिन्दू धर्म में उल्लेख है, लेकिन इनमें अधिकतर का स्थानीय संस्कृति और पहले से चली आ रही पीढ़ियो की परंपरा से संबंध है।
आइए जानते है दीपावली के उत्सव को मनाने के 14 कारण।
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इस दिन श्री भगवान विष्णु ने महान राजा महाबली को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इन्द्र देव ने स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी।
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दिवाली के दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध भी किया था।
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दिवाली के दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए थे।
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और इसी दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।
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इस दिन के ठीक एक दिन पहले श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। दूसरे दिन इसी उपलक्ष्य में दीपावली मनाई जाती है।
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राक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए। भगवान शिव के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया। इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई। इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान है।
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दीवली का दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी है।
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गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में लाखों दीप जलाकर दीपावली मनाई थी।
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इसी दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था।
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इसी दिन गुप्तवंशीय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने ‘विक्रम संवत’ की स्थापना करने के लिए धर्म, गणित तथा ज्योतिष के दिग्गज विद्वानों को आमन्त्रित कर मुहूर्त निकलवाया था।
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इसी दिन अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था।
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दिवाली ही के दिन सिक्खों के छ्टे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था।
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इसी दिन आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण हुआ था।
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इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष आरम्भ होता है।
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इन सभी कारणों से हम दीपावली का उत्सव मनाते हैं।