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तलाक: गर्भावस्था के दौरान पति के उत्पीड़न को पति का उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता; सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला | तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

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यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए माहेर पहुंचती है और एक निश्चित अवधि के भीतर माहेर नहीं लौटती है, तो उसके व्यवहार को क्रूरता नहीं कहा जा सकता है। उनके पति को कोई नुकसान नहीं हुआ। इसलिए पति अपनी पत्नी पर उंगली उठाकर तलाक नहीं दे सकता।

सुप्रीम कोर्ट

नवी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट तलाक (तलाक(मामले में अपील पर सुनवाई)सुनवाई) महत्वपूर्ण परिणाम देते समय। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि अगर कोई महिला गर्भवती होने के बाद अपनी मालकिन के पास जाती है और एक निश्चित अवधि के बाद वापस नहीं आती है, तो उसके व्यवहार को उसके पति और ससुर द्वारा उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता है। हाल के दिनों में किसी न किसी कारण से वैवाहिक विवादों में वृद्धि हुई है। पति-पत्नी का तलाक मामूली कारणों से हो रहा है। इस लिहाज से सुप्रीम कोर्ट का फैसला अहम है। (तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला)

गर्भावस्था के दौरान एक महिला का अपने माता-पिता के साथ रहना स्वाभाविक है – कोर्ट

यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए माहेर पहुंचती है और एक निश्चित अवधि के भीतर माहेर नहीं लौटती है, तो उसके व्यवहार को क्रूरता नहीं कहा जा सकता है। उनके पति को कोई नुकसान नहीं हुआ। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के.एस. एम। न्यायमूर्ति जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने यह आदेश पारित किया। गर्भावस्था के दौरान एक महिला का अपने माता-पिता के साथ रहना बहुत स्वाभाविक है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि एक निश्चित अवधि के बाद महिला के अपने ससुर के घर नहीं लौटने को उसके पति या सास के प्रति क्रूरता नहीं कहा जा सकता है।

22 साल के लिए अलग हुए पति-पत्नी

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पत्नी का व्यवहार गलत नहीं था। लेकिन यह जोड़ा पिछले 22 सालों से अलग रह रहा है और पति ने निचली अदालत से तलाक के तुरंत बाद दोबारा शादी कर ली। इस आधार पर शादी रद्द कर दी गई। पूरा मामला फैमिली कोर्ट में विचाराधीन था। जहां कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर तलाक का आदेश दिया था। हालांकि जब मद्रास हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई तो हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने तब से फैसला सुनाया है कि पत्नी का व्यवहार क्रूर था। लेकिन पिछले 22 साल से अलग रहने के बाद दोनों की शादी को रद्द कर दिया गया था। (तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला)

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