जानिए यहाँ मछलियों के साथ लोग क्या करते हैं
समाज में जैसे-जैसे शिक्षा का प्रसार हो रहा है, वैसे-वैसे लोग दकियानूसी विचारधारा,अंधविश्वास को त्यागकर नई सोच को अपना रहे हैं। इसके बावजूद भारत सहित दुनिया के तमाम हिस्सों में लोग आज भी पुराने सोच-विचार को जकड़े हुए हैं। पुराने रीति-रिवाजों में लोगों का विश्वास आज भी बना हुआ है।
वर्तमान समय में मेडिकल साइंस के पास लगभग हर कठिन बीमारी का इलाज है लेकिन फिर भी लोग प्राचीन काल से चली आ रही औषधीय उपचार का दामन आज भी थामे हुए हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे करवाने लोग दूर-दूर से इस स्थान पर आते हैं।
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हम यहां बात कर रहे हैं फ़िश मेडिसिन ट्रीटमेंट के बारे में जहां जिंदा मछली को मुंह के अंदर डालकर लोगों का इलाज किया जाता है। बता दें आंध्रप्रदेश में हैदराबाद के नामपल्ली इलाके में यह उपचार पद्धति काफी मशहूर है। यहां हर साल जून के महीनें में 5000 से भी ज्यादा लोग इस इलाज के लिए पहुंचते हैं।
यह इलाज मुख्य रूप से अस्थमा के मरीजों के लिए हैं। इस फ़िश मेडिसिन ट्रीटमेंट में करीब पांच सेंटीमीटर (दो इंच) लंबाई वाली मुरेल मछली को मरीजों के गले में डाला जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे मरीज का गला पुरी तरह से साफ हो जाता है और उसे सांस लेने में दिक्कत नहीं होती है।
यहां यह इलाज बैथिनी गौड़ परिवार करती है। सन 1845 में बैथिनी परिवार को इस इलाज का पता एक साधू से मिला था। बैथिनी परिवार आज भी इस उपचार के मुख्य फार्मूला को गुप्त रखे हुए हैं। वे इसका जिक्र किसी से भी नहीं करते हैं।
बता दें लोगों में इस फ़िश मेडिसिन ट्रीटमेंट का क्रेज इस हद तक हैं कि उस दौरान सरकार को विशेष ट्रेन की व्यवस्था करनी पड़ती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस फेस्टिवल में पहुंच सकें। यहां लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल भी तैनात रहती है।
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