एनजीटी का 500 मिग्रा. से कम टीडीएस वाले क्षेत्रों में वाटर प्यूरीफायर पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को आदेश दिया है कि वह उन सभी आरओ निर्माताओं को वाटर प्यूरीफायर पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी करे, जहां पानी में कुल घुलित ठोस (टीडीएस) का स्तर 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता बेंच ने ये आदेश दिया।
एनजीटी ने आरओ के रेगुलेशन को लेकर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन को नाकाफी बताते हुए नाराजगी जताई। एनजीटी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण रूल्स के नियम 115 में संशोधन करने की जरूरत है। एनजीटी ने सीपीसीबी को निर्देश दिया कि वो आरओ से अपशिष्ट उपकरणों के प्रबंधन को लेकर दिशानिर्देश जारी करे। एनजीटी ने कहा कि आरओ को लेकर एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उचित तरीके से पालन करने के लिए एक महीने के अंदर दिशानिर्देश जारी किए जाएं।
एनजीटी ने कहा कि उसने अपने आदेश में कहा था कि 500 टीडीएस से कम वाले स्थानों पर आरओ पर रोक लगाई जाए लेकिन पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के नोटिफिकेशन में 500 टीडीएस से कम वाले स्थानों पर आरओ के रेगुलेशन का कोई प्रावधान नहीं है। इसी तरह इस नोटिफिकेशन में पानी की बर्बादी पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
एनजीटी ने 20 मई, 2019 को आदेश दिया था कि जहां के पानी का टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर तक हो, वहां आरओ की जरूरत नहीं है। इससे ज्यादा होने पर ही आरओ का इस्तेमाल किया जाए लेकिन इस संबंधी नोटिफिकेशन अभी तक वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जारी नहीं किया था। एनजीटी ने कहा कि इस नोटिफिकेशन को जारी करने में देरी से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
दरअसल, एनजीटी की ओर से गठित विशेषज्ञों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नगर निगमों या जल बोर्ड की ओर से घरों में जो पानी की आपूर्ति की जाती है, उसके शुद्धिकरण के लिए आरओ लगाने की कोई जरूरत नहीं है। विशेषज्ञ कमेटी ने एऩजीटी को सौंपी रिपोर्ट में कहा था कि नगर निगमों के पानी को अगर आरओ के जरिये पीते हैं तो यह हमारी सेहत को खराब करता है, क्योंकि इससे मिनरल गायब हो जाते हैं। कमेटी के मुताबिक नदी, तालाबों और झील के सतह पर मौजूद पानी के स्रोतों से निगम द्वारा पाइप के जरिए सप्लाई किए जाने वाले पानी के लिए आरओ की कोई जरूरत नहीं है। कमेटी के मुताबिक आरओ की जरूरत उन्हीं इलाकों में पड़ती है, जहां टीडीएस का लेवल 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा हो।
याचिका फ्रेंड नामक एक एनजीओ ने दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 21 दिसंबर, 2018 को एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में केंद्रीय पर्यावरण विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड, आईआईटी दिल्ली और नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल हैं।