रोचक : रावण की गुप्त मीनार जिसके बारे में आप नहीं जानते होंगे
रोचक : शक्तिशाली रावण जो रामायण का सबसे अद्भुत पात्र था वह देवताओं को अपनी उंगलियों पर नचाना चाहता था लेकिन मानव हो या राक्षस एक दिन उन्हें मृत्यु का भोग बनना ही पड़ता है इसलिए रावण के दिमाग में एक युक्ति सूझी, इसलिए उसने अमरता प्राप्त करने के लिए बह्रम देव की तपस्या शुरू की, रावण के साथ उसके दोनों भाई भी इस तप में शामिल हुए लेकिन इसके बावजूद बह्रम देव ने उसे अमर होने का वरदान नहीं दिया।
भले ही रावण कितना भी बलवान था उसके पास ऐसी शक्तियाँ मौजूद थी जिससे वह देवताओं को भी हरा सकता था लेकिन अमर नहीं होने के कारण वह दुखी हुआ, उसने अपने पुत्रों को अमरता प्राप्त करवाने के लिए सभी ग्रहों को ऐसी दशा में लाकर रखा जिससे उसके पुत्र अमर बन जाए लेकिन समय आने पर शनि देव ने दशा बदल डाली जिससे उसका पुत्र मेघनाद शक्तिशाली होने के बावजूद अमर ना बन सका।
यह तो थी सब प्राचीन बातें, लेकिन आज हम आपको रावण की गुप्त मीनार के बारे में बताने जा रहे है जिसको कलयुग के समय में बनाया गया है यूपी के जालौन में स्थित है जिसकी ऊँचाई 210 फिट है आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मीनार का निर्माण 1875 में मथुरा प्रसाद ने करवाया था जो सीप, उड़द की दाल, शंख और कौड़ियों से बनाई गयी है इस मीनार को बनाने में 1 लाख 75 हजार रुपए की लागत लगी थी जो आज के समय में 50 करोड़ के बराबर है।
इस मीनार में रावण के परिवार का चित्रण किया गया है और मीनार के सामने भगवान शिव की प्रतिमा इस तरह से लगाई गयी है जिससे रावण 24 घंटे उनके दर्शन कर सके। कुतुबमीनार के बाद इसी मीनार को भारत की सबसे ऊंची मीनार का दर्जा दिया गया है इस मीनार की खास बात यह है कि इसमें भाई-बहन एक साथ प्रवेश नहीं कर सकते क्योंकि यहाँ सिर्फ पति-पत्नी ही एक साथ परिक्रमा कर सकते है।