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रावण के अच्छे 3 गुण जो आज के मनुष्यों में भी नहीं देखने मिलते- जानिए वो है क्या ?

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रावण को लोग बुरी नज़र अथवा नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानते है लेकिन कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी बुरा क्यों ना हो, परन्तु उसके अंदर भी काफी अच्छाई छिपी होती है जिन्हें हम जानकार भी अनजान रहते है। शास्त्रों का ज्ञाता रावण ज्ञानी होने के साथ साथ बाह्रमण मुनि विश्रवा का पुत्र था, वह चारों वेदों एवं ज्योतिष शास्त्र का पंडित था परन्तु उनके अंदर महान (ईश्वर) बनने का अहंकार था और यहीं अहंकार उसे ले डूबा।

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1 स्वतंत्र शासक

रावण ravan ke baaren me hindi jaankari (1)

लंका में सिर्फ रावण का राज चलता था, उसने अपनी प्रजा का खास ध्यान रखा यदि उसके राज्य में कोई उसकी आज्ञा बिना कार्य करता तो उसे योग्य दंड देने में जरा भी चूक नहीं रखता था। यहाँ तक कि रावण ने स्वर्ग तक अपना शासन फैला रखा था।

2 कभी हार ना मानना

रावण ravan ke baaren me hindi jaankari (1)

रावण दिखने में जितना बलवान था उससे भी ज्यादा उसके पास शक्तिशाली सेना थी, वह इतना ताकतवर था कि भगवान से भी नहीं डरता था। सीता हरण के बाद भी उसने कभी हार नहीं मानी वह अंत समय तक युद्ध में लड़ता रहा। रावण यह अच्छी तरह से जानता था कि श्री राम साक्षात् ईश्वर का अवतार है इसके बावजूद उसने श्री राम से युद्ध किया।

3 शास्त्रों और ज्योतिष का ज्ञाता

रावण ravan ke baaren me hindi jaankari (1)

रावण खगोल शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र एवं चारों वेदों को भली भांति समझता था सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त वही बना, भगवान शिव उसे बहुत प्रिय थे वह चाहता था कि शिव जी कैलाश से अपने महल लंका में स्थापित करू, हालांकि श्री गणेश ने यह होने नहीं दिया।

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