centered image />

मंकीपॉक्स छोटे बच्चों के लिए एक बड़ा खतरा है, ICMR ने दी चेतावनी

0 155
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने चेतावनी दी है कि मंकीपॉक्स के संक्रमण के तेजी से फैलने के कारण छोटे बच्चों में इस बीमारी के होने का खतरा अधिक होता है। भारत में अभी तक मंकीपॉक्स के एक भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सरकार संक्रमण को लेकर हाई अलर्ट पर है।

दूसरी ओर, भारतीय निजी स्वास्थ्य उपकरण कंपनी ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर ने मंकीपूक्स टेस्ट के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट किट विकसित की है। यह किट 1 घंटे के अंदर रिजल्ट देने में सक्षम होगी।

अर्जेंटीना में शुक्रवार को मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया। मरीज हाल ही में स्पेन से लौटा है। देश में भी इस वायरस का एक संदिग्ध मामला सामने आया है। इससे पहले मंगलवार को पश्चिम अफ्रीका से यूएई लौट रही एक महिला को भी मंकीपॉक्स होने की पुष्टि हुई थी।

21 देशों में अब तक मंकीपॉक्स के 226 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को कहा कि उन देशों से लगभग 100 संदिग्ध मामले सामने आए हैं जहां मंकीपॉक्स आमतौर पर नहीं पाया जाता है। ब्रिटेन में मंकीपॉक्स का पहला मामला 7 मई को सामने आया था।

हालांकि, यह आश्वस्त करता है कि अब तक मंकीपॉक्स वायरस में कोई आनुवंशिक परिवर्तन नहीं पाया गया है। यानी यह वायरस अभी इंसानों में म्यूटेट नहीं हुआ है। वैज्ञानिक अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह बीमारी अफ्रीका से बाहर कैसे फैली।

मंकीपॉक्स एक प्रमुख है

स्पेन में शुक्रवार तक 98 मामलों की पुष्टि हो चुकी थी। वहीं, ब्रिटेन में 106 और पुर्तगाल में 74 मरीज इस दुर्लभ बीमारी से प्रभावित हैं। इसके अलावा, कनाडा, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, इज़राइल, इटली और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों में मंकीपॉक्स फैल गया है।

मंकीपॉक्स के लक्षणों में पूरे शरीर पर दाने, बुखार, लिम्फ नोड्स की सूजन, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान शामिल हैं।

यूके की यूके हेल्थ एजेंसी ने मंकीपॉक्स के मरीजों को कम से कम तीन सप्ताह तक पालतू जानवरों से दूर रहने को कहा है। गाइडलाइन के मुताबिक जिन मरीजों के घर में चूहे और गिलहरी हैं, उन्हें इन जानवरों को 21 दिन तक क्वारंटाइन में रखा जाएगा। वहीं जिन मरीजों के घरों में कुत्ते और बिल्लियां हैं, उन्हें अपने पशुओं को आइसोलेशन में रखना होगा और नियमित जांच से गुजरना होगा। दरअसल, यह बीमारी जानवरों और इंसानों दोनों में फैल सकती है।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.