बांग्लादेश के अस्पताल में कोरोनावायरस सर्टिफिकेट का फर्जीवाड़ा, इटली हुआ सख्त

कुछ दिन पहले बांग्लादेश में अधिकारियों ने एक अस्पताल के डॉक्टर को गिरफ्तार किया। इस डॉक्टर को गिरफ्तार करने के पीछे अधिकारियों के पास पुख्ता सबूत भी थे। इसकी पहचान मोहम्मद शहीद के रूप में की गई।
अस्पताल की ओर से कोरोना वायरस का फर्जी सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा था। और तो और इस अस्पताल की ओर से ऐसे एक दो फर्जी सर्टिफिकेट जारी नहीं किेए गए बल्कि इनकी संख्या हजारों में पाई गई। एक बात और भी चौंकाने वाली सामने आई कि अस्पताल की ओर से कई ऐसे भी सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए जिनका कभी सैंपल तक नहीं लिया गया।
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दरअसल ये सर्टिफिकेट अस्पताल के डॉक्टर की ओर से उन श्रमिकों को बेचे गए जो दूसरे देशों में काम करने के लिए जाते हैं। ये सर्टिफिकेट मामूली पैसे ( 59 डॉलर) पर श्रमिकों को बेचे गए थे। बांग्लादेश में काफी गरीबी है। इस वजह से यहां से हजारों की संख्या में लोग दूसरे देशों में काम की तलाश में जाते हैं। वहां वो होटल, रेस्टोरेंट, मॉल्स, ग्रोसरी की दुकानों और तमाम जगहों पर काम करते हैं। उसके बाद वहां से कमाए हुए पैसे को अपने देश बांग्लादेश भेजते हैं जिससे वहां उनका परिवार पल सके। उन पैसों से बांग्लादेश सरकार की अर्थव्यवस्था चलती रहती है।
इटली में फिर हुई जांच तो सामने आया फर्जीवाड़ा
कई बांग्लादेशी बीते कुछ दिनों में इटली पहुंचे, यहां जब उनकी फिर से जांच की गई तो वो पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद बांग्लादेश में जारी किए गए सर्टिफिकेट पर उंगली उठने लगी। एक सप्ताह के बाद जितने बांग्लादेशी इटली या उस देश में पहुंचे थे उन सभी की फिर से जांच की गई तो वो सभी पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद इटली की सरकार ने बांग्लादेश से आने वाली सभी फ्लाइटों पर रोक लगा दी, जो लोग फ्लाइटों में बैठकर इटली पहुंचे थे उनको उसी फ्लाइट से वापस भेज दिया गया। इटली सरकार ने जब देखा कि बांग्लादेश से आने वाले अधिकतर मजदूर तबके के लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं तो उन्होंने वहां से आने वाली सभी फ्लाइटों पर पूरी तरह से रोक लगा दी।
यात्रियों से भरी फ्लाइट वापस भेजी
एक फ्लाइट में बांग्लादेश से 168 यात्री इटली पहुंचे थे, उनकी फ्लाइट को वैसे ही वापस कर दिया गया। इटली की ओर से बांग्लादेश से कहा गया कि आपके यहां से जो कोरोना के सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं वो पूरी तरह से फर्जी है। इसके सबूत भी बांग्लादेश को मुहैया कराए गए। उसके बाद बांग्लादेश पुलिस की ओर से सर्टिफिकेट जारी करने वाले अस्पताल की जांच की गई। अधिकारी जब अस्पताल में जांच करने के लिए पहुंचे और मालिक शाहिद को इसके बारे में पता चला वो गायब हो गया। 9 दिनों की तलाश के बाद पुलिस ने उसे सीमा पर पकड़ा।
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