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माँ बनने के बाद बच्चे को स्तनपान कब व किस मात्रा में करायें, सम्पूर्ण जानकारी

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जच्चा बच्चा टिप्स प्रसव के बाद जितना जल्दी संभव हो स्तनपान कराना अच्छा होता है, परंतु इसके लिये आवश्यक है कि आपका बच्चा जगा हुआ हो सक्रिय हो व स्तनपान करने में सक्षम हो।
जल्दी स्तनपान कराने से स्तन के अत्यधिक भरे होने की स्थिति व असुविधा से बचा जा सकता है। साथ ही बच्चे को भी कोलस्ट्रम का अधिकाधिक लाभ मिल सकता है। कोलस्ट्रम वह पहला दुग्ध है, जो प्रसव के बाद निकलता है व पोषक तत्त्वों व एन्टीबॉडीस से परिपूर्ण होता है।

जन्म के 24 घंटे के भीतर बच्चे को प्रत्येक बार प्रत्येक स्तन से कम से कम 5 मिनट तक स्तनपान कराना चाहिये। इस समय को धीरे-धीरे तब तक बढ़ाएं जब तक यह 15 मिनट अथवा उससे अधिक ना पहुंच जाये। अधिकतर दूध तो बच्चा 5 से 10 मिनट में ही पी लेता है, बाकि समय में वो स्तन को मुंह में लिये रहता है, वह ऐसा करना चाहता है। इस बारे में सभी बच्चे अलग होते हैं व अपना अलग-अलग पैटर्न बना लेते हैं। इसलिये अपने बच्चे पर ध्यान दें न कि केवल घड़ी पर। कुछ बच्चे प्रति 4 घंटे में दूध पीना पसंद करते है व कुछ एक या डेढ़ घंटे के बाद, विशेषकर ऐसा जन्म के कुछ सप्ताह तक होता है। यदि आपको यह चिन्ता है कि आपका बच्चा पर्याप्त मात्रा में दूध पी रहा है अथवा नहीं, तो आप इस संबंध में बच्चे के डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि वो आपके बच्चे के विकास व उसके वजन आदि का रिकॉर्ड रखते है। अतः वे आपको बता सकते हैं कि बच्चे का का विकास पर्याप्त रूप में हो रहा है अथवा नहीं। बच्चा पर्याप्त मात्रा में दूध ले रहा है कि नहीं, इसका अंदाज आप इस बात से भी लगा सकती हैं कि बच्चा दिन में कितनी बार पेशाब करता है। यह संख्या 5-6 बार होनी चाहिये।

70 एक बार बच्चा स्तनपान करने लगता है, तो फिर मां के लिये यह आसान हो जाता है। बोतल से दूध पीना उसके लिये स्तनपान से आसान होता है, क्योंकि उसके लिये उसे अधिक प्रयास नहीं करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त यदि मां अधिक समय तक स्तनपान नहीं कराती है, तो धीरे-धीरे स्तनों में दूध की मात्रा घटती जाती है।
बच्चे के पोषण के लिये व उसे दूध पिलाने के लिये आप निम्नलिखित में से कोई भी तरीका अपना सकती हैंµ

  • केवल स्तनपान
  • कुछ समय तक जैसे 6 सप्ताह या तीन महीने तक स्तनपान व उसके बाद बोतल का दूध
  • बारी-बारी से स्तनपान व बोतल का दूध
  • दिन में कुछ समय स्तनपान व कुछ समय बोतल का दूध

आजकल डॉक्टर लोग केवल स्तनपान के ही पक्ष में रहते हैं। उनके विचार में मां का दूध ही बच्चे के लिये श्रेष्ठ है व पर्याप्त भी है। स्तनपान के बाद बच्चे को बोतल के दूध की आवश्यकता नहीं होती है। साथ ही बोतल का दूध बच्चे के स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उसके लिये हानिकारक हो सकता है। अतः बच्चे को छः माह तक अथवा कम से कम चार माह तक बच्चे को मां के दूध पिलाना ही श्रेष्ठ है। डॉक्टर की राय के अनुसार चार माह तक बच्चे को मां के दूध के अतिरिक्त और किसी चीज की भी आवश्यकता नहीं होती है। यहां तक कि बच्चे को पानी की भी आवश्यकता नहीं होती है। मां का दूध उसकी सारी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। निम्नलिखित परिस्थितियों में बोतल का दूध दिया जा सकता हैः

  • यदि बच्चा ऑपरेशन से हुआ हो और मां स्तनपान कराने की स्थिति में ना हो।
  • यदि मां के स्तनों में पर्याप्त दूध नहीं बनता हो या दूध उतर दही ना रहा हो।
  • यदि बच्चा स्तनपान ना कर पा रहा हो।

मां के दूध को स्टोर करके भी रखा जा सकता है। यदि मां नौकरी करती है व उसे काम पर जाना हो, तो वह दूध को निकल कर सुरक्षित करके रख सकती है। इसे फ्रिज में 72 घंटे तक रखा जाता है।
आपके डॉक्टर आपको बच्चे को तब तक स्तनपान कराने की सलाह देते हैं, जब तक वह धीरे-धीरे कुछ ठोस पदार्थ लेने न लग जाये। यह अवस्था छः माह की होती है। आप उसके बाद भी स्तनपान जारी रख सकती हैं, यह आपकी भावनाओं व आपके बच्वे की जरूरतों पर निर्भर करता हैं।
जब आप बच्चे का स्तनपान छुड़ाना चाहती हैं, तो उसे अचानक न छुड़ायें, धीरे-धीरे छुड़ायें, क्योंकि अचानक स्तनपान छुड़ानें का बच्चे पर विपरीत मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है व बच्चे में असुरक्षा की भावना आ जाती है। धीरे-धीरे, एक-एक फीड़िग को स्तनपान से बॉटल फीड़िग में परिवर्तित करें। इस कार्य में कई सप्ताह भी लग सकते हैं। आजकल डॉक्टर बॉटल फीडिंग के लिये भी मना करते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे को चम्मच से दूध पिलाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं रहता है।

स्तनपान कब तक कराना चाहिये?

जन्म से 4 से 6 माह तक स्तनपान आवश्यक होता है व उसका वजन सही तरह से बढ़ता है। स्तनपान करने वाले दस्त नहीं लगते व उसके वजन में पर्याप्त मात्रा में वृद्धि होती है। 4-6 माह के बाद बच्चे को अन्य आहार दिया जाता है, परन्तु कम से कम एक वर्ष की आयु तक स्तनपान कराते रहना चाहिये। स्तनपान अधिक समय तक भी कराया जा सकता है, परन्तु बच्चे को दाल, सब्जी, फल अनाज द्वारा पर्याप्त पोषण भी मिलता रहे, यह सुनिश्चित कर लें।

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