प्राणायाम करने के सही तरीका क्या है?
प्राणायाम में श्वसन की तकनीक है, जो श्वास या श्वसन प्रक्रिया के नियंत्रण से संबंधित है । प्राणायाम प्रचलित रूप में यौगिक श्वसन कहलाता है जिसमें हमारे श्वसन प्रति रूप का ऐच्छिक नियंत्रण है ।
श्वसन तंत्र का स्वस्थ्य श्वास व्यक्ति के माध्यम से ली गई वायु की गुणवत्ता और मात्रा पर निर्भर करता है । यह श्वसन की लय और पूर्णता पर भी निर्भर करता है । प्राणायाम द्वारा अभ्यासकर्ता के श्वसन , हृदयवाहिका और तंत्रिका तंत्र लाभकारी ढंग से कार्य करते हैं, जिससे उसे भावनात्मक और मानसिक शांति प्राप्त होती है ।
प्राणायाम करने हेतु दिशानिर्देश
- प्राणायाम यथासंभव आसन करने के बाद करना चाहिए ।
- शीतली और शीतकारी के सिवाय प्राणायाम में श्वसन नाक द्वारा ही करना चाहिए ।
- प्राणायाम करते समय चहेरे की मांसपेशियों, आखों, कानों, गर्दन, कंधों या शरीर के किसी अन्य भाग में तनाव नहीं होना चाहिए ।
- प्राणायाम करते समय आखें बंद रहनी चाहिए ।
- प्रारंभ में वयक्तिओं को श्वसन के सामान्य प्रवाह के बारे में सजग रहना चाहिए । श्वसन और उच्छ्वसन को धीरे-धीरे लंबा करें ।
- श्वसन पर ध्यान देते समय अपने पेट की स्थिति को देखेंजो श्वास अदंर भरते समय फूलता है और श्वास छोड़ते समय अंदर जाता है ।
- प्रारंभिक अवस्था में व्यक्तिओं को अनुपात बनाए रखना चाहिए और धीरे-धीरे सीखना चाहिए, जिसका अर्थ है उच्छावसन का समय अंत: श्वसन के समय से दोगुना होना चाहिए । परंतु प्राणायाम करते समय ऊपर वर्णित आदर्श अनुपात पाने की जल्दी न करें ।