प्रधानमंत्री मोदी के शहर गुजरात में घूमने वाली पांच अच्छी जगह
Gujarat bestTravelling Place : गुजरात पश्चिम भारत का एक शहर है जिसे कभी कभी पश्चिमी भारत का गहना कहा जाता है। इसकी जनसख्या 6 करोड़ से अधिक है। गुजरात की राजधानी गांधीनगर है, जबकि इसका बड़ा शहर अहमदाबाद है। गुजराती बोलने वाले लोगो के लिए गुजरात घर है। यह कुछ पौराणिक इंडस वैली सिविलाइज़ेशन की जगहों का घर है जैसे लोथल और धोलावीरा। कहा जाता है की लोथल विश्व का पहला बंदरगाह था।
यहाँ पर दिलचस्प संस्कृति, खाना, कपड़े, रस्मे, भाषाएँ और इतिहासिक जगह है। 5 जगह जो गुजरात जाकर आपको ज़रूर जानी चाहिए, वह है:
1. गिर वन्यजीव अभयारण्य
गिर वन्यजीव अभयारण्य भारत के गुजरात राज्य में लगभग 1424 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह जंगल शेरों के लिये मशहूर है। इसके अतरिक्त इस वन्य अभयारण्य में अधिसंख्य मात्रा में पुष्प और जीव-जन्तुओं की प्रजातियां मिलती है। गिर के जंगल को सन् 1969 में वन्य जीव अभयारण्य बनाया गया।
2. मोढेरा सूर्य मंदिर
मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के पाटन नामक स्थान से ३० किलोमीटर दक्षिण की ओर “मोढेरा” नामक गाँव में प्रतीष्ठित है। यह सूर्य मन्दिर भारतवर्ष में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है। सन् १०२६ ई. में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा इस मन्दिर का निर्माण किया गया था। वर्तमान समय में इस मन्दिर में पूजा करना निषेध है। कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर को तोड़ कर खंडित कर दिया था।
3. द्वारकाधीश मंदिर
द्वारकाधीश मंदिर भगवन कृष्णा को समर्पित है, जिन्हे द्वारका का राजा कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण २५०० साल पहले द्वारका शहर में हुआ था लकिन बाद में इसे विदेशी इस्लामिक आक्रामक करने वालों ने तोड़ दिया था। फिर इसे दुबारा १६वी सदी में बनाया गया।
4. साबरमती आश्रम
साबरमती आश्रम भारत के गुजरात राज्य अहमदाबाद जिले के प्रशासनिक केंद्र अहमदाबाद के समीप साबरमती नदी के किनारे स्थित है। सत्याग्रह आश्रम की स्थापना सन् 1917 में अहमदाबाद के कोचरब नामक स्थान में महात्मा गांधी द्वारा हुई थी। सन् 1917 में यह आश्रम साबरमती नदी के किनारे वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित हुआ और तब से साबरमती आश्रम कहलाने लगा।
5. रानी की वाव
रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटण में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआँ) है। 22 जून 2014 को इसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित किया गया।रानी की वाव (बावड़ी) वर्ष 1063 में सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम की प्रेमिल स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने बनवाया था। रानी उदयमति जूनागढ़ के चूड़ासमा शासक रा’ खेंगार की पुत्री थीं। सोलंकी राजवंश के संस्थापक मूलराज थे। सीढ़ी युक्त बावड़ी में कभी सरस्वती नदी के जल के कारण गाद भर गया था। यह वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा तथा 27 मीटर गहरा है। यह भारत में अपनी तरह का अनूठा वाव है।
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