कहानी- अज़ान का सोना
अज़ान शहर का एक बहुत अमीर आदमी था लेकिन उसके कपड़ों को देखकर वह बेखारी लगता था। वह ऐसा पहनावा जानबूझकर रखता था ताकि कोई उसे अमीर समझकर उसके घर चोरी न कर सके। इसलिए वह बिखारी बनकर रहता था। वह गंदे और बदबूदार कपड़े पहनकर भिखारी लगता था। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था जब बच्चे उसे कंजूस कंजूस कहकर चिड़ाते थे। जैसे जैसे साल गुज़रते गए वैसे वैसे वह पैसों की गड्डियां जमा करता रहा और पहले से भी ज़्यादा अमीर बन गया। अपने जोड़े हुए पैसों सें वह एक दिन बाज़ार से सोने की ईंट खरीद कर लाया। उसने अपने घर के पास के कुएं के पास एक गड्डा करके उसमें वह सोने की ईंट दफना दी। उस कुएं के पास कोई नहीं जाता था। इसलिए अज़ान को लगा कि अगर वह सोने की ईंट उस कुएं के पास एक गड्ढे में दफना देगा तो किसी चोर को शक नहीं होगा। उसे यकीन था कि किसी चोर को इस राज़ के बारे में पता नहीं चलेगा।
इस खुशी के विचार के साथ अज़ान रोज़ अपना खज़ाना देखने कुएं के पास के गड्ढे में जाता था। लेकिन क्या आप किसी ऐसी जगह को राज़ बनाकर रख सकते है जिसे आप रोज़ देखने जाते हो। अज़ान का रोज़ रात को कुएं के पास छुपकर जाना सभी को पता चल गया। एक दिन किसी ने छुपकर जाकर उस सोने की ईंट को निकाल लिया और चोर खुशी के मारे उस ईंट को वहां से लेकर भाग गया।
अगले दिन, अजान को अपना गड्ढा खाली मिला। उसने परेशान होकर गड्ढे को और खोदा और यह देखकर उसके पास भीड़ जमा हो गई। अज़ान इस तरह से रो रहा था जैसे उसका कोई अपना उसे छोड़ कर चला गया हो। आखिरकार एक पड़ोसी ने आगे आकर अज़ान को चुप होने के लिए कहा। ‘तुम्हें अपना सोना चाहिए। एक भारी पत्थर उठाओ और उसे इस गड्ढे में डाल दो। फिर सोचो कि तुमने सोना खो दिया।
आप मेरा इस समय पर मज़ाक बना सकते है? अज़ान ने रोते हुए कहा।
पड़ोसी ने कहा, ‘मैं तुम्हारा मज़ाक नहीं बना रहा। तूमने सोने की ईंट को गड्ढै में दबा रखा था तो तुम कैसे सोने की ईंट का इस्तेमाल कर सकते थे। तुम सिर्फ रोज़ उसे देखते ही थे? अब तुम वहीं इस पत्थर के साथ कर सकते हो।’ पड़ोसी की बातें सुनकर अज़ान चुप हो गया।