आयुर्वेद के अनुसार, जब कफ सूखकर फेफड़ों और श्वसन अंगों पर जम जाता है तो सुखी खांसी होती है। इसके लिए नीचे लिखे तरीकों में से कोई एक करें। इन दवाओं और नुस्खों को बीपी या दिल के मरीज भी अपना सकते हैं, पर डायबीटीज के मरीज सितोपलादि चूर्ण और कंठकारी अवलेह न लें क्योंकि उनमें मीठा होता है।
हिमालय की सेप्टिलिन एक गोली सुबह-शाम सात दिन तक लें।
अमृर्ताण्व रस दो गोली सुबह व दो गोली शाम को पानी से लें।
सितोपलादि चूर्ण शहद में मिलाकर एक चम्मच चाटें। बच्चों को भी दे सकते हैं।
तालिसादि चूर्ण (करीब आधा चम्मच) पानी से दिन में तीन बार लें। बच्चों को भी दे सकते हैं।
जे एंड जे डिशेन कंपनी की डेंजाइन या डेस्मा की एक-एक गोली तीन बार पानी से लें या बिना पानी के चूसें। शुगर के मरीज और बच्चे भी ले सकते हैं।
चंदामृत रस की दो-दो गोली सुबह-शाम पानी से लें। शुगर के मरीज और बच्चे भी ले सकते हैं।
ज्यादा खांसी हो तो सेंधा नमक की छोटी-सी डली को आग पर रखकर गर्म करें और एक कटोरी पानी में डाल कर बुझा लें। उसी डली को फिर गर्म करें और पानी में डाल लें। ऐसा पांच बार करके यह पानी पिला दें। दिन में दो बार करें। बच्चों के लिए मुफीद है।
थोड़ी-सी फिटकरी को तवे पर भूनें। आधी मात्रा में अभ्रक भस्म मिलाकर चाटें।
हींग, त्रिफला, मुलहठी और मिश्री को नीबू के रस में मिलाकर चाटें।
त्रिफला और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से भी फायदा होता है।
12 ग्राम हल्दी, 24 ग्राम गुड़ और तीन ग्राम पकाई हुई फिटकरी का चूर्ण मिलाकर गोलियां बना लें और दो-दो गोलियां दिन में दो-तीन बार चूसें।
तुलसी, काली मिर्च और अदरक की चाय पीएं।
दिन में दो बार गुनगुने दूध के गरारे करें।
दिन में दो-तीन बार शहद चाटें।
रात को गर्म चाय या दूध के साथ आधी चम्मच हल्दी की फंकी लें।
खराश में कंठकारी अवलेह आधा-आधा चम्मच दो बार पानी से या ऐसे ही लें।