centered image />

जानना चाहेंगे क्यों मनाते है एक वर्ष में दो बार नवरात्री का त्यौहार

0 1,350
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

भारत देश हिन्दू परंपराओ का देश है, जहाँ अलग अलग प्रान्त में त्यौहार मनाये जाते है, जहाँ, होली, दिवाली, करवाचौथ जैसे कई त्यौहार है जिन्हें भारतवासी अपनी अपनी मान्यताओं के अनुसार मनाते है, अतः भारत तो त्यौहारो का देश है। पुरे वर्ष भर हम आने वाले त्यौहारो का स्वागत करते है। भारत में सभी त्योहार बड़ी शांतिपूर्वक और रीती रिवाज के अनुसार मनाये जाते है। नवरात्री  भी उनमे से एक है। नवरात्र का नाम लेते ही हमारे ख्यालों में एक उत्साह और उमंग के साथ साथ  पूजा – पाठ, देवियो की प्रतिमाएं, साज-सजावट से भरे बाजार और ङांङिया खेलते लोगो की यादें बनने लगती है।

नवरात्र साल में दो बार क्यों मनाते हैः- नवरात्र एकमात्र ऐसा त्योहार है जो साल में दो बार आता है। क्या आपने सोचा है ऐसा क्यों होता है। तो चलिए हम आपको बताते है। नवरात्र के साल मे दो बार आने की वज़ह हमारे कलैंङर है। ग्रोरियन  कलैंङर  के अनुसार चैत्र का महीना जो मार्च से अप्रैल के बीच का होता है। और दुसरी बार अंग्रेजी कलैंङर  के अनुसार अक्ष्रिवन माह का महीना जो सितम्बर से अक्टूबर के बीच का होता है।

नवरात्रि में होती है इन नौ देवियों की पूजा

श्री शैलपुत्री- इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
श्री ब्रह्मचारिणी- इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
श्री चंद्रघरा- इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
श्री कूष्माडा- इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
श्री स्कंदमाता- इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
श्री कात्यायनी- इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
श्री कालरात्रि- इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
श्री महागौरी- इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
श्री सिद्धिदात्री- इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।

नवरात्र की कथाः-

उत्तर भारत से जुङी पौराणिक कथा:-
उत्तर भारत में कथा महिषासुर , पराक्रमी राक्षस ने  भगवान शिव की पूजा की और अनंत काल की शक्ति प्राप्त की। जल्द ही, वह निर्दोष लोगो को मारने लगा और परेशान करना शुरू कर दिया है और सभी तीन लोक जीतने के लिए निकल पड़े। स्वर्ग लोक  में  देवताओं ने दानवो से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव से अपील की। महिषासुर , ब्रह्मा , विष्णु और शिव एकजुट होकर तीनों ने महिषासुर के  अत्याचारों से दुनिया की रक्षा के लिए एक योजना बनाई, उन्होने  देवी दुर्गा के रूप में जाना एक दिव्य महिला योद्धा ,की उत्पति की। महिषासुर देवी दुर्गा के दिव्य सौंदर्य को देखा तो वह उन पर मोहित हो गया।

वह शादी करने के इरादे से उनसे संपर्क करने लगा । देवी उससे शादी करने के लिए सहमत हुई। लेकिन एक शर्त रखी कि महिषासुर को उनसे लड़ाई में जीतना होगा। महिषासुर तुरंत सहमत हो गया! लड़ाई 9 रातों के लिए जारी रही और नौवें दिम माँ ने महिषासुर का अंत कर दिया। इसीलिए नौ रातों के बाद दसवें दिन  विजयदश्मी , बुराई पर अच्छाई की विजय का यह पर्व मनाया जाता है। तभी से यह नवरात्र के रूप में जानाया  जाने लगा ।

एक अन्य पौराणिक कथा – राम और रावण:-
फिर भी नवरात्रि की एक और कथा रामायण हिंदू महाकाव्य से संबंधित है. यह नौ दिनों के लिए नौ पहलुओं से सम्बंधित है। भगवान राम की पूजा और देवी दुर्गा की पूजा रावण को मारने के लिए की जाती है। जब  रावण ने सीता माँ को अगवा कर लिया था तो राम ने शक्तिशाली असुर राजा रावण से सीता माँ को छुङाने के लिए दस दिन तक युध किया। तथा दसवे दिन रावण का वध करके माँ को बचाया। उन नौ रातों को नवरात्री के रूप में जाना जाने लगा। जिस दसवें दिन राम ने  रावण को मारा वह दिन विजय दशमी के रुप में आज भी भारत मे मनाया जाता है। तथा इस बात की सीख दी जाती है कि आज भी बुराई अच्छाई के आगे कमजोर है।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.