centered image />

मंगलवार व्रत कथा

1 872
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

व्रत कथा:- एक समय की बात है एक ब्राह्मण केशवदत्त की कोई संतान नहीं थी, जिस कारण वह बेहद दुखी थे . दोनों पति-पत्नी प्रति मंगलवार को मंदिर में जाकर हनुमानजी की पूजा करते थे . विधिवत मंगलवार का व्रत करते हुए कई वर्ष बीत गए. ब्राह्मण बहुत निराश हो गया, लेकिन उसने व्रत करना नहीं छोड़ा .

वह भूखी प्यासी छः दिन पड़ी रही. मंगलवार के दिन तो उसे मूर्छा आ गई तब हनुमान जी उसकी लगन और निष्ठा को देखकर अति प्रसन्न हो गये. उन्होंने उसे दर्शन दिए और कहा – मैं तुमसे अति प्रसन्न हूँ. मैं तुझको एक सुन्दर बालक देता हूँ जो तेरी बहुत सेवा किया करेगा. हनुमान जी मंगलवार को बाल रुप में उसको दर्शन देकर अन्तर्धान हो गए. सुन्दर बालक पाकर ब्राम्हणी अति प्रसन्न हुई. ब्राम्हणी ने बालक का नाम मंगल रखा.

hanuman

कुछ समय पश्चात् ब्राहमण वन से लौटकर आया. प्रसन्नचित्त सुन्दर बालक घर में क्रीड़ा करते देखकर वह ब्राहमण पत्नी से बोला – यह बालक कौन है . पत्नी ने कहा – मंगलवार के व्रत से प्रसन्न हो हनुमान जी ने दर्शन दे मुझे बालक दिया है . पत्नी की बात छल से भरी जान उसने सोचा यह कुलटा व्याभिचारिणी अपनी कलुषता छुपाने के लिये बात बना रही है. एक दिन उसका पति कुएँ पर पानी भरने चला तो पत्नी ने कहा कि मंगल को भी साथ ले जाओ. वह मंगल को साथ ले चला और उसको कुएँ में डालकर वापिस पानी भरकर घर आया तो पत्नी ने पूछा कि मंगल कहाँ है . तभी पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया. उसे वापस देखकर ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया. रात को हनुमानजी ने उसे सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह पुत्र उसे उन्होंने ही दिया है.

ब्राह्मण सत्य जानकर बहुत खुश हुआ . इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति मंगलवार व्रत रखने लगा. मंगलवार का व्रत रखने वाले मनुष्य हनुमान जी की कृपा व दया का पात्र बनते हैं.

हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.