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जाने ऐसा क्या हुआ था टाइटैनिक के साथ

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टाइटैनिक का नाम लेते ही दिमाग में लियोनार्दो दी कप्रियो की याद ताज़ा हो जाती है लेकिन टाइटैनिक के बारे में कुछ ऐसी बातें है जो हम शायद नहीं जानते है. टाइटैनिक एक अकेला ऐसा जहाज था जो लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ बना था, बनाने वालों का मानना था कि यह दुनिया का सबसे सर्वश्रेठ जहाज है. तो आइये जाने हम उस जहाज के बारे मैं जिसे सपनो का जहाज कहा जाता था और दावा किया जाता था की ये कभी डूब नहीं सकता. पर अपने पहले सफर 10 अप्रैल 1912 के चार दिन बाद ये डूब गया और 2500 से जयादा लोगो की आकाल मृत्यु का कारन बन गया. दुनिया में अब भी टाइटैनिक में अब भी लोगों की दिलचस्पी बरक़रार है  दुर्भाग्यशाली जहाज़ टाइटैनिक जब हज़ारों लोगों के साथ ही समुद्र में डूब गया था तो पूरी दुनिया में तहलका मचा था. तब से लेकर अब तक इस जहाज़ की संपत्ति और उसके डूबने पर बहुत से शोध हो चुके हैं, बहुत सी कहानियाँ लिखी जा चुकी हैं और फ़िल्में भी बन चुकी हैं. Play Quiz::चार सवालों के जवाब देकर जीते 400 रुपये paytm कैश

टाइटैनिक दुनिया का सबसे बड़ा बास्प आधारित यात्री जहाज था. वह साउथम्पटन (इंग्लैंड) से अपनी प्रथम यात्रा पर, 10 अप्रैल, 1912 को रवाना हुआ. चार दिन की यात्रा के बाद, 14 अप्रैल 1912 को वह एक हिमसिला से टकरा कर डूब गया जिसमे 1,517 लोगों की मृत्यु हुईं जो इतिहास की सबसे बड़ी शांतिकाल समुद्री आपदाओं में से एक है.
ओलंपिक श्रेणी का यात्री लाइनर “टाइटैनिक” व्हाइट स्टार लाइन के हस्तगत में था और उसका निर्माण Belfast (Ireland) के Harland ओर Wolff शिपयार्ड में किया गया था. वह 2,223 यात्रिओ के साथ न्यूयॉर्क शहर के लिए रवाना हुआ था. यह तथ्य है कि जब जहाज डूबा उस वक्त, जहाज पर उस समय के सभी नियमों का पालन करने के बावजूद केवल 1,178 लोगों के लिए जीवनरक्षक नौका थी. पुरुषो के मृत्यु की असंगत संख्या का मुख्य कारण महिलाओं और बच्चों को पहले प्रधानता देना था.
टाइटैनिक उस समय के सबसे अनुभवी इंजीनियरों के द्वारा डिजाइन किया गया था और इसके निर्माण में उस समय में उपलब्ध सबसे उन्नत टेक्नोलोजी का इस्तेमाल किया गया था. यह कई लोगो के लिए एक बड़ा आघात था कि व्यापक सुरक्षा ओर सुविधाओं के बावजूद, टाइटैनिक डूब गया था. आवेश में आयी हुई मीडिया की ओर से टाइटैनिक के प्रशिद्ध आरोपी, जहाज के डूबने का उपाख्यान, समुद्री कानूनों का भंग ओर जहाज के मलबे की खोज ने लोगो की टाइटैनिक में रुचि जगाने में काफी योगदान दिया

निर्माण
टाइटैनिक का निर्माण Belfast (Ireland) के Harland ओर Wolff शिपयार्ड में किया गया था और प्रतिद्वंदी Cunard Line के Lusitania और Mauretania के साथ प्रतिस्पर्धा के रूप में डिजाइन किया गया था. इसके डिजाइनरों में Lord Pirrie जो Harland & Wolff और White Star के संचालक थे, नौसेना आर्किटेक्ट Thomas Andrews जो Harland और Wolff के निर्माण प्रबंधक और डिजाइन विभाग के प्रमुख थे, और Alexander Carlisle शिपयार्ड के प्रमुख रचयिता एवं जनरल मैनेजर सामिल थे. Alexander Carlisle की जिम्मेदारियो में साज-सजावट, उपकरण और सभी सामान्य व्यवस्था, जीवनरक्षक नौका को लटकाने के यंत्र की डिजाइन जेसे कार्यो का समावेश होता था. वह जहाज़ पर नौका लटकाने का यंत्र बनाने वाली कंपनी Welin Davit & Engineering Co. Ltd. के शेयरधारक बन गए थे.
वॉट रियली सैंक द टाइटैनिक’- इस किताब को लिखने वाले दो धातु वैज्ञानिकों में एक टिमोथी फोक का कहना है कि निर्माता कंपनी ‘हार्लेंड एंड वोल्फ ऑफ बेलफास्ट’ कम समय और वाजिब लागत में ही इस जहाज को बना लेना चाहती थी। इसके अलावा, जिस पोत-कारखाने में ‘टाइटैनिक’ का निर्माण हो रहा था, वहां और तेजी से दो जहाज का निर्माण-कार्य चल रहा था। यही वजह थी कि निर्माता कंपनी इसके लिए गुणवत्ता में समझौता करने से भी नहीं चूकी। Play Quiz::चार सवालों के जवाब देकर जीते 400 रुपये paytm कैश

टाइटैनिक का निर्माण 31 मार्च, 1909 को American J.P. Morgan और International Mercantile Marine Co. की लागत से शुरू हुआ. टाइटैनिक की पतवार का 31 मई, 1911 को जलावतरण किया गया और उसके अगले वर्ष की 31 मार्च तक उसे साज़-समान से लैस किया गया. उसकी कुल लम्बाई 882 फीट ओर 9 इंच (269.1 मीटर), ढलवें की चौड़ाई 92 फीट (28.0 मीटर), भार 46,328 टन (GRT), और पानी के स्तर से डेक तक की ऊंचाई 59 फीट (18 मीटर) थी. जहाज दो पारस्परिक जुड़े हुए चार सिलेंडर, triple-expansion steam engines और एक कम दबाव Parsons turbine (जो प्रोपेलर को घुमाते थे) से सुसज्जित था. टाइटैनिक में 29 boiler थे जो 159 कोयला संचालित भट्टियो से जुड़े हुए थे और जहाज को 23 समुद्री मील (43 km/h, 26 mph) की शीर्ष गति प्रदान करते थे. 62 फीट (19 मी) की उचाई की चार में से केवल तीन funnel कार्यात्मक थी. चौथी funnel, जो वेंटिलेशन के प्रयोजन हेतु इस्तेमाल की जाती थी, वह जहाज को अधिक प्रभावशाली रूप देने के लिए लगायी गयी थी. जहाज की कुल क्षमता यात्रियों और चालक दल के साथ 3547 थी.

रूपरेखा
कई मंजिला जहाज समुंद्र में डूब गया और साथ में दे गया जलसमाधि 1517 लोगों को। टाइटैनिक डूबने के करीब 100 साल बाद इस त्रासदी का सच सामने आया है। टाइटैनिक पर छपी नई किताब में दावा किया गया है कि जहाज के डूबने के लिए दुर्घटना नहीं बल्कि चालक दल की गलती जिम्मेदार थी। यही नहीं, किताब के मुताबिक हिमखंड यानि आईसबर्ग से टक्कर के बाद भी जहाज पर सवार यात्रियों की जान बचाई जा सकती थी।
अब तक यही माना जाता रहा है कि 14 अप्रैल 1912 को दुर्घटना के वक्त टाइटैनिक जहाज तेज गति से चल रहा था और चालक दल हिमखंड को देख नहीं पाया और इसी हिमखंड से टकराकर जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। लेकिन टाइटैनिक डूबने की असली वजह यह नहीं थी बल्कि टाइटैनिक का डूबना चालक दल की गलती का नतीजा था।
ये खुलासा टाइटैनिक के बारे में छपी ‘गुड एज गोल्ड’ नाम की नई किताब में किया गया है। इस किताब में दावा किया गया है कि चालक दल चाहता तो इस भयानक त्रासदी को टाला जा सकता था। द टेलिग्राफ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना के सौ साल बाद इस पुस्तक में कहा गया है कि हिमखंड को देखने के बाद चालक दल के पास काफी समय था और वे टाइटैनिक को उससे टकराने से बचा सकते थे। लेकिन वे इस कदर भयभीत हो गए कि जहाज को उन्होंने उसी दिशा में मोड़ दिया। जब तक गलती का पता चलता तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

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1 Comment
  1. taleeb khan says

    achhi kahani hai lekin dukh dhai bhi hai .
    i totally hurt

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