कर्नाटक चुनाव 2018 भाजपा ने लहराया जीत का परचम और राहुल गाँधी कोमा में!
कर्नाटक चुनाव में नतीजे सामने आ चुके हैं। एक बार फिर पीएम मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक में भगवा लहरा दिया है। पीएम मोदी की ताबड़तोड़ 21 रैलियों और कर्नाटक के लोगों के बीच थोड़ी बहुत कन्नड़ बोलने का प्रभाव इस चुनाव में साफ दिख गया। 224 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में राहुल गांधी की कांग्रेस काफी पिछड़ गई जिससे राहुल गाँधी को बहुत बड़ा सदमा लगा है, पहले एग्जिट पोल में यह बताया जा रहा था की कांग्रेस की जगह मजबूत होगी लेकिन आने वाले रिजल्ट ने सबको चौंका दिया, यह स्तिथि उनके लिए एक कोमा जैसी हो गयी है, कि सिर्फ देख सकते हैं और कुछ कर नही सकते। आइए जानते हैं उन बड़ी वजहों को जो भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार का कारण बन गई। शहरों के बुनियादी ढांचे में कमी से थी नाराजगी।
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कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार से कन्नड़ लोगों की सबसे बड़ी नाराजगी बुनियादी ढांचे में कमी की थी। बैंगलोर समेत दूसरे बड़े राज्यों में लोगों को बुनियादी सुविधायें नहीं मिल पा रही थीं। बैंगलोर का प्रबंधन हो, शहरों में नागरिक सुविधाएं हो या ट्रैफिक की समस्या, सबको लेकर लोग कांग्रेस से नाराज थे। इन्हीं मुद्दों पर चोट करने में भाजपा कामयाब रही और वोटरों ने उसका साथ दिया। इसके अलावा एक ग्रामीण राज्य में कांग्रेस ने किस तरह से किसानों की अनदेखी की है, गांवों के विकास की अनदेखी की है। इस बात को बताने में भाजपा पूरी तरह कामयाब रही।
काम नहीं आया कांग्रेस का राष्ट्रवादी कार्ड
कांग्रेस ने भाजपा को चुनाव में हराने के लिए एक और बड़ी चाल चली थी। उसने राज्य की अस्मिता यानि पहचान का मुद्दा उठाया था। कांग्रेस ने भाजपा को ऐसी पार्टी के रूप में पेश किया था जो उत्तर भारत की है और कन्नड़ वासियों की पहचान छीन लेगी। कांग्रेस ने दिखाया था कि भाजपा उनपर न सिर्फ हिंदी थोपेगी बल्कि उत्तर भारत के रीति रिवाज भी मानने को मजबूर कर देगी। हालांकि मोदी ने जिस तरह से थोड़ी कन्नड़ बोली और उनके भाषणों को कन्नड़ में अनुवाद करके लोगों तक बताया गया, उसने कांग्रेस के इस कार्ड को धराशायी कर दिया।
राहुल और मोदी की लड़ाई में पिछड़े राहुल
आखिरी दांव था राहुल और पीएम मोदी जिनमें कोई मुकाबला ही नहीं था। पीएम मोदी ने अपने जादुई भाषणों से राहुल गांधी को पछाड़कर वोटरों का भरोसा जीत लिया। मोदी का चुनाव के समय नेपाल के मंदिर में जाना भी हिन्दू वोटों के एक करने के लिए काफी रहा। हालांकि राहुल ने भी चुनाव से पहले मंदिरों के चक्कर लगाये लेकिन वो जनता को प्रभावित नहीं कर सके..
चेहरों की लड़ाई में पिछड़ गई कांग्रेस
तीसरी सबसे बड़ी वजह रही कांग्रेस और भाजपा के बीच चेहरों की लड़ाई जिसमें भाजपा के हाथों जीत लग गई। कांग्रेस के पास सिद्धारमैया, राहुल गांधी और सोनिया गांधी थे। भाजपा के पास येदियुरप्पा, अमित शाह और पीएम मोदी थे। सिद्धारमैया और येदियुरप्पा का कद तो कर्नाटक में करीब-करीब बराबर था। बस सिद्धारमैया सत्ता विरोधी लहर का शिकार हो गये और येदियुरप्पा भारी पड़ गये। सोनिया और अमित शाह की टक्कर में अमित शाह ही विजयी रहे क्योंकि सोनिया की तबीयत की वजह से वो सक्रिय नहीं रहीं।
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