बच्चों के लिए नन्ही कविताएँ
गर्मी आई
गर्मी ने अब ली अंगड़ाई।
सर्दी ने है छुट्टी पाई
स्वेटर, कोट लगे ना अच्छे,
मन को भाए अब ठण्डाई।
कैम्पा कोला, ढक्खन खोला।
मुँह में जाकर वो यूं बोला
मुझको पकड़ो छोड़ो चाय।
गर्मी आई, गर्मी आई
पतली चादर पड़े ओढ़नी
रखी टांड़ पर सभी रजाई।
कुल्फी बोली, मुझको खाओ,
गर्मी आई गर्मी आई।
जब चलती लू
गर्मी में जब चलती लू
हर प्राणी को खलती लू।
हरे भरे वृक्षो के नीचे,
छाया में कम लगती लू।
शेर बाघ और नाग से
ज़रा नहीं डरती यह लू।
पल पल पानी पीने को
व्याकुल करती रहती लू।
सावधान इससे रहना,
फौरन हमला करती लू।
प्याज़ पना चना पत्ती से,
तिल तिल कर गल मरती लू।
खस खस रही व कूलर में,
रह जाती कर मलती लू।
लस्सी शरबत ठण्डे जलसे,
लुकी छिपी फिरती है लू।
सत्यवादी तोता
तोता मैंने एक मंगाया।
सत्य बोलना उसे सिखाया।
सत्य बोल वह सदा बताता।
झूठ नहीं उसके मन भाता।
एक दिन मैंने मौका पाया।
चोरी छिपकर मक्खन खाया।
माँ आई तो तोता बोला।
सारा भेद उसी दम खोला।
माँ भागी और डंडा लाई।
मरी कर दी खूब पिटाई।