गीता ज्ञान – अध्याय 9 शलोक 29-31
हरे कृष्ण।भगवान श्री कृष्ण कहते हैं मेरे भक्त का कभी पतन नहीं होता। कितना भी दुराचारी मनुष्य क्यों ना हो यदि भगवान की भक्ति का सहारा ले लेता है और सतकर्म में लग जाता है तो वह भी मोक्ष का भागी बन जाता है।
कहने का तात्पर्य यह कि यदि कोई मनुष्य दुराचारी है, चोर लुटेरा है या कोई भी तरह के पाप कर्मों में लिप्त है और सब पाप करमों को त्याग कर सन्मार्ग पर चलने का निश्चय कर लेता है और भगवान की सत्ता को स्वीकार करते हुए कल्याण कारी कार्यों में लग जाता है तो उसे भगवान का आशीर्वाद मिल सकता है। वह भी सुखमय जीवन का अधिकारी बन जाता है। भगवान के सम्पर्क में आने से यानी भगवान की पूजा अर्चना करने से मनुष्य को सब दुष्कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। जैसे बाल्मीकि, अजमल़, बिल्वमंगल, सदन कसाई आदि पूर्व में दुष्कर्मी होते हुए भी प्रमधाम के अधिकारी बने।
तुलसी दास जी भी कहते हैं
“कोटि बिप्र बध लागहिं जाहु,
आएँ सरन तजहु नहीं ताहू।
सम्मुख होई जीव मोही जबहिं,
जन्म कोटि अघ नासहिं तबहिं”