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गीता ज्ञान – अध्याय 8 श्लोक 5-7

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गीता ज्ञान में भगवान श्री कृष्ण ने 7वें अध्याय और विशेषकर 29-30 शलोकों में 6 शब्दों का प्रयोग किया है। ब्रह्म, अधात्म, कर्म , अभिभूत , अधिदेव और अभिभूत। 8वेँ अध्याय के पहले दो शलोकों में अर्जुन भगवान कृष्ण से पूछता है महाराज आपके इन शब्दों का क्या अर्थ है और आपने इनका प्रयोग यहाँ पर किस संदर्भ में किया है और जो मनुष्य सब तरह से निश्काम भाव से सर्व जन हिताय: को धयान में रख कर कर्म करता है तो उस मनुष्य को आपका सानिध्य कैसे और कब प्राप्त होता है।
अर्जुन के 6 प्रसन्नों का उत्तर भगवान श्री कृष्ण 3-4 शलोकों में संक्षिप्त रूप से देते हैं और 7 प्रसन्न का उत्तर आगे विस्तार से देतें हैं। ब्रह्म परमपिता परमात्मा को ही कहा गया है , आध्यातम सम्पूर्ण जीव समुदाय के लिये प्रयोग में आया है, परमार्थ के लिये किया गया कार्य ही अखिल कर्म कहा गया है , पंच महाभूतों को, अर्थात नाशवान चीज़ों को अभिभूत कहा गया है, अधिदेव ब्रह्माजी है और अधियज्ञ स्वयम् परमपिता परमात्मा। इस प्रकार भगवान ने 6 शब्दों का संदर्भ अर्जुन को संक्षेप में बताया अब सातवें प्रश्न का उत्तर विस्तार से आगे के शलोकों में बताएँगे

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