गीता – अध्याय 4 शलोक 8
हरे कृष्ण। इस शलोक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को बता रहे हैं कि मैं हर युग में और ज़रूरत पड़ने पर एक युग में कई बार भी जन्म लेता हूँ। और मेरे जन्म लेने का प्रयोजन क्या है इसके बारे में बताते हुए कहते हैं। संतों की रक्षा के लिये, दुष्ट व अधर्मी लोगों के विनाश के लिये और धर्म की स्थापना के लिये।
सवाल यह पैदा होता है कि धर्म की स्थापना का काम तो संत महात्मा भी करते हैं फिर भगवान को अवतार लेने की ज़रूरत क्यों पडती है। संत महात्मा धर्म का प्रचार प्रसार तो करते हैं। सभी को धर्म के रास्ते पर चलने के लिये प्रेरित करते हैं लेकिन दुष्टों को दंड देना या पाप कर्मियों का दमन करना संत महात्माओं के वश में नहीं होता। दूसरे भगवान अवतार ले कर अपने दिव्य कर्मों द्वारा आम लोगों के सामने मिसाल पेश करते हैं ताकि आम आदमी। धर्म के मार्ग पर चल कर परमानन्द की प्राप्ति कर सके।
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