द्रास यात्रा : भारत की सबसे ठंडी जगह, एक बार जरूर जाएँ
Travelling place Drass सड़क से 60 किलोमीटर कारगिल रोड की पश्चिम तरफ जो लद्दाक को सड़क जाती है, पर द्रास बसा हुआ है। 3,230 मीटर (10,990 फ़ुट) पर बसा हुआ यह क़स्बा 16,000 से 21,000 फ़ुट के पहाड़ों से घिरा हुआ है। द्रास वादी ज़ोजिला दर्रे के चरणों में है और कश्मीर से लद्दाख़ जाने के लिये यहाँ से गुज़रना पड़ता है, जिस कारणवश इसे ‘लद्दाख़ का द्वार’ भी कहा जाता है।
यह जगह अपने मौसम की वजह से मशहूर है।यह भारत के सबसे ठंडे शहरों में से है और सर्दियों में यहाँ तापमान −50 °सेन्टिग्रेड तक गिर जाता है और −60 °सेन्टिग्रेड तक मापा गया है। कई स्रोतों के अनुसार साइबेरिया के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे सर्द मानवी बसेरा है।
द्रास जिला ज़ोजिला पास से शुरू होता है जो लद्दाक को जाता है। पुरातन समय से वहां के निवासियों ने सबसे मुश्किल समय में भी इस डरावने रस्ते से समझौता कर लिया है क्यूंकि पतझड़ के बाद और वसंत की शुरवात में यह जगह बर्फ से ढकी रहती है।
यहाँ जाने का उत्तम समय
द्रास में जाने का उत्तम समय गर्मियों में अप्रैल से जून तक है। इस समय यहाँ का तापमान बाकी महीनों के मुकाबले काम होता है। गर्मियों में द्रास का तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। अमरनाथ पर जाने वाले लोग यहाँ के बेस कैंप से होकर जाते है। द्रास में बहुत सुन्दर प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलते है।
यहाँ पर क्या देखना चाहिए?
द्रास वॉर स्मारक
यह स्मारक गुलाबी पत्थर से बना है, जिस पर स्मृति लेख है और यह उन शहीदों को समर्पित है जो ऑपरेशन विजय के दौरान शहीद हो गए थे।
नींगूर मस्जिद
स्थानीय लोगों के मुताबिक जब यह मस्जिद बन रही थी तब इसकी एक दिवार अपने आप खड़ी हो गयी थी और तब से यहाँ मुस्लिम श्रद्धालु आते है।
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